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________________ आत्मा की सीधी गति 6 120 2180 • यद्यपि आत्मा की ऊर्ध्वगमन की ही गति होती है फिर भी... वह सीधी होती है या नहीं? या टेढी होती है ? या कैसी उसके लिए कहते हैं कि ९० डिग्री के कोन की दिशा में बिल्कुल सीधी ही होती है । अतः४५, या६०,या १८० या किसी भी अन्य डिग्री में नहीं होती है। एकमात्र ९० डिग्री के कोन में ही सीधी ऊर्ध्वगति होती है। ऊपर के चित्र में दर्शाए अनुसार आकाश प्रदेशों की स्थापना एक सीधा खडा और एक सीधा आडा तार की तरह है। जैसे कपडे बुने जाते हैं उसमें एक धागा खडा सीधा और दूसरा सीधा आडा रहता है उसी प्रकार आकाश प्रदेशों की रचना होती है। इसलिए इन आकाश प्रदेशों पर गमन-गति भी बिल्कल सीधी ही होगी। तिरछी-टेढी-मेढी नहीं होती है । आकाश प्रदेशों की स्थापना जैसी है उसी के आधार पर उस पर जीव व . जड पुद्गल परमाणुओं की गति होगी। अतः सीधी दिशा में ही गति होगी। विदिशा में (विपरीत दिशा) में गति गमन नहीं होता है । आधे चित्र में से यह भी समझ लीजिए। गमनागमन की क्रिया करनेवाले जीव और जड़ के पुद्गल द्रव्य ये दो ही गति-स्थिति आदि की क्रिया करनेवाले सक्रिय द्रव्य हैं । बस, इनके सिवाय अन्य कोई नहीं है। अढाई द्वीप-समुद्रों में से कहीं से भी मोक्ष इसी पुस्तक में आगे पहले थोडा भौगोलिक वर्णन लोक संबंधी इसी आशय से किया था ताकि आगे जब जब भी इस संबंधी विषय आए उस समय स्पष्ट रूप से जल्दी १३८० आध्यात्मिक विकास यात्रा
SR No.002484
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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