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________________ अध्याय - १६ क्षपक श्रेणि के साधक का आगे प्रयाण ➖➖➖➖➖➖ धर्म - कर्म का अनादि वैर... कर्मक्षय का लक्ष्य.... कर्मक्षय बल पर आत्मिवकास.. निर्जरा आधार पर आत्मशुद्धि. वीर्य और वीर्यांतराय कर्म.. आत्मवीर्य के एकार्थक नाम... ८ करणों की व्याख्या. निट्टीबादर (निवृत्ति बादर) अपूर्वकरण गुणस्थान.. कालमान तथा कर्मप्रकृतियों का क्षयादि.. श्रेणि के श्रीगणेश... श्रेणि के नियम.. संसार चक्र में - उपशम श्रेणि कितनी बार ? शुक्ल ध्यान का स्वरुप.. शुक्ल ध्यान से विशुद्धि. नौवा अनिवृत्ति बादर गुणस्थान.. १०वां सूक्ष्म सम्पराय गुणस्थान.. ११वां उपशान्त मोह गुणस्थान. पतन अवस्था के गुणस्थान.. ३ रा मिश्र दृष्टि गुणस्थान... मिश्र गुणस्थानवर्ती का आयुष्य का बंध कहां ?. शुद्धि - अशुद्धि का स्वरुप..... सास्वादन गुणस्थान पर कर्मप्रकृति. गुणस्थानों पर बाह्य - आभ्यंतर परिवर्तन. किन-किन गुणस्थान पर मृत्यु और आयुबंध ?.. गुणस्थानों का कम-ज्यादा का.... .१०९४ .१०९६ .१०९७ .१०९९ .११०२ .११०५ . ११०८ .१११५ .१११८ १११९ .११२३ .११३३ . ११४१ . ११४७ . १९४८ . ११५४ . ११५८ .११६२ .११६२ .१९६८ .११६९ . ११७४ . ११७५ . ११७६ . ११८० M M
SR No.002484
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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