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गति में से आकर जन्म लेते ही हैं। इसी तरह एक साथ अनेकों संख्यात असंख्यात देवताओं का जन्म भी हो सकता है । और च्यवन अर्थात् मरण भी हो सकता है । मृत्यु के बाद ये देवता मनुष्य और तिर्यंच नामक इन दो गतियों में जाते हैं। तिर्यंच गति के पशु-पक्षी के जीव ८ वें सहस्रार देवलोक तक जाकर जन्म ले सकते हैं । इनमें भी असंख्य वर्ण के आयुष्यवाले युगलिक मनुष्य तथा पशु-पक्षी तिर्यंचादि तो अवश्य ही देवलोक में जाकर जन्म ग्रहण करते हैं । कई तापस आदि भी भवनपति व्यंतर और ज्योतिष निकाय में जाकर जन्म ग्रहण करते हैं। कई मनुष्य, विषभक्षण-जहर खाकर, आत्महत्या द्वारा मरकर, पर्वत पर से गिरकर, भूख-प्यासादि से मरकर, अग्नि में जलकर, पानी में डूबकर, रस्सी से फाँसी लगाकर... इत्यादि अनेक तरीकों से मरने वाले जीव भी यदि रौद्रपरिणाम रहित मरते हो तो व्यन्तर की भूतपिशाच राक्षसादि की जाति में आकर उत्पन्न होते हैं। यद्यपि ऐसे कृत्यों के कारण नरक गति की ही प्राधान्यता जादा बडी है। फिर भी आयुष्य के बन्ध के पहले यदि शुभ भावनादि द्वारा तथा रौद्रपरिणाम रहित हो तो नरक में जाने से बचकर व्यन्तर निकाय में भी जाते हैं।
. साधुवेषधारी हो और मिथ्यात्व युक्त हो तो वह .. उत्कृष्ट से नौं ग्रैवेयक तक भी जा सकता है । उत्कृष्ट चारित्रधारी ज्ञान-ध्यानवंत साधु महात्मा उत्कृष्ट से सर्वार्थसिद्ध विमान में जाकर उत्पन्न होते हैं। श्रावक की व्रतधारी कक्षा में आकर गृहस्थ भी सौधर्म नामक प्रथम देवलोक तक जाता है । वैमानिक देवलोक
देवगति की ४ जातियों में वैमानिक की जाति ही सर्वश्रेष्ठ जाति है। यही सबसे ऊंची है । इसमें दो विभाग हैं- वैमानिकाः ।।४-१७ ॥ कल्पोपपन्नाः कल्पातीताश्च ।। ४-१८ ।। उपर्युपरि ॥४-१९ ।। तत्त्वार्थकार इन सूत्रों से कहते हैं कि- वैमानिक देवता कल्पोपपन्न और कल्पातीत दो प्रकार के होते हैं। ये विमान में रहनेवाले होने के कारण वैमानिक कहे जाते हैं । विमाने भवाः वैमानिकाः, विशिष्टपुण्यैर्जन्तुभिर्मान्यन्ते उपयुज्यन्त इति विमानानि । अर्थात् विशिष्ट पुण्यशाली जीवों द्वारा जो भोगने योग्य स्थान है उसे विमान कहा है । ऐसी पृथ्वियाँ और उनमें उत्पन्न देवताओं को वैमानिक देव कहते हैं । इनके विमान– “उपर्युपरि" अर्थात् ऊपर-ऊपर होते हैं । वज्रमय बनी हुई पृथ्वी विशिष्ट जो विमान है वे ऊपर के ७ राजलोक में स्थित है । ऐसे एक एक देवलोक में संख्या में अनेक विमान दर्शाए गए हैं । वे इस प्रकार हैं
संसार
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