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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र से सुसंवृत तथा प्राप्त संयमयोग की वृद्धि और अप्राप्त संयमयोग की प्राप्ति के लिए अहर्निश प्रयत्नशील होने से सुविशुद्ध दृष्टि वाला संयमी इन पांचों महाव्रतों का लगातार पालन करके भविष्य में चरमशरीरी हो जायगा।
यही इन पांचों संवरों की आराधना का उत्तम फल है।
वैसे तो संकड़ों निर्दोष युक्तियों से इसका विस्तृत वर्णन मिलता है और शास्त्रों में विस्तार से भावनास्वरूप २५ संवरों का उल्लेख मिलता है, लेकिन आबालवृद्ध संसार में सर्वत्र यम, व्रत, महाव्रत आदि के नाम से प्रसिद्ध ये ५ ही संवर हैं। इसलिए इस शास्त्र में पांच ही संवरद्वारों का ग्रहण किया गया है ।
__ श्री सुबोधिनीव्याख्यासहित प्रश्नव्याकरणसूत्र का वसवां अध्ययन अपरिग्रहरूप पंचमसंवरद्वार समाप्त हुआ।