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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
युक्त होने से इसे भगवती कहा गया है । भग का अर्थ ज्ञान भी होता है, अहिंसा प्रशस्त ज्ञान वाली है । यह संसार के सम्पूर्ण ऐश्वर्यो का निधान भी है । इन सब कारणों को लेकर अहिंसा को भगवती कहा गया है, यह उचित ही है ।
भगवती अहिंसा की विविध उपमाएँ
पूर्वोक्त सूत्रपाठ में शास्त्रकार ने अहिंसा के गुणनिष्पन्न ६० नाम बता कर उसकी व्यापकता और विविधरूपधारकता का निरूपण किया है । अब इस सूत्रपाठ अहिंसा भगवती को अनेक लोकप्रसिद्ध उपमाएँ दे कर उसकी विशेषता बताई गई है |
मूलपाठ
एसा सा भगवती अहिंसा जा सा भीयाण विव सरणं, पक्खीणं पिव गमरणं, तिसियाणं पिव सलिलं, खुहियाणं पिव असणं, समुद्दमज्झे व पोतवहणं, चउप्पयाणं व आसमपयं, दुहट्टियाणं च ओसहिबलं, अडवीमज्झे व सत्यगमणं, एत्तो विसिट्ठ तरिका अहिंसा जा सा पुढवि-जल-अगणि मारुय वणस्सइ-बीजहरित जलयर थलचर- खहचर तस-यावर सव्वभूयखेमकरी । संस्कृतच्छाया
एषा सा भगवती अहिंसा या सा भीतानामिव शरणम्, पक्षिणामिव गमनम्, तृषितानामिव सलिलम्, क्षुधितानामिवाशनम्, समुद्रमध्ये इव पोतवहनम्, चतुष्पदानामिव आश्रमपदम् दुःखातिकानामिव औषधिबलम्, अटवीमध्ये इव सार्थगमनम् ; एतेभ्यो विशिष्टतरिकाऽहिंसा या सा पृथिवीजलाग्नि- मारुत-वनस्पति-बीज हरितजलचरस्थलचर- खेचरत्र सस्थावरसर्वभूतक्षेमंकरी ।
पदार्थान्वय- ( एसा ) यह (सा) पूर्वोक्त ( भगवती ) पूज्या (अहिंसा) अहिंसा, ( जा ) जो है (सा) वह (भीयाणं ) भयभीत प्राणियों के लिए (सरणं विव) शरण के समान है । ( पक्खीणं) पक्षियों के लिए (गमणं पिव) आकाश में गमन के तुल्य है । (तिसियाणं) प्यासों के लिए ( सलिलं पिव) पानी के समान है । ( खुहियाणं) भूखों के
१ ' अडवीमज्झे विसत्थगमणं' पाठ भी कहीं-कहीं मिलता है ।
- संपादक