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चतुर्थ अध्ययन : अब्रह्मचर्य-आश्रव
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संसार के अन्य पुण्यशालियों की काम-प्रवृत्ति चक्रवर्ती की कामभोगों में प्रवृत्ति का विस्तृत वर्णन करने के बाद आगे शास्त्रकार बलदेव, वासुदेव के रूप में पुण्यशाली और प्रशंसनीय माने जाने वाले अन्य पुरुषों के वैभव और उनकी कामभोगों में प्रवृत्ति का पुनः विशद वर्णन करते हैं--
मूलपाठ भुज्जो भुज्जो बलदेव-वासुदेवा य पवरपुरिसा, महाबलपरक्कमा, महाधणुवियट्टका, महासत्तसागरा, दुद्धरा, धणुद्धरा, नरवसभा, रामकेसवा, (स)भायरो, सपरिसा, वसुदेवसमुद्दविजयमादियदसाराणं पज्जुन्न-पतिव-संब-अणिरुद्ध-निसह-उम्मुयसारण-गय-सुमुह-दुम्मुहादीण जायवाणं अटुट्ठाण वि कुमारकोडीणं हिययदयिया, देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंदहिययभावणंदणकरा, सोलसरायवरसहस्साणुजातमग्गा, सोलसदेवीसहस्सवरणयणहिययदइया, णाणामणिकणगरयणमोत्तियपवालधणधन्नसंचयरिद्धिसमिद्धकोसा, हयगयरहसहस्ससामी, गामागर-नगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-संबाह-सहस्सथिमियणिव्वुय- पमुदितजणविविहसासनिप्फज्जमाण - मेइणिसरसरियतलागसेलकापणआरामुज्जाण - मणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणड्ढवेयड्ढगिरिविभत्तस्स लवणजलहिपरिगयस्स छविहकालगुणकामजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका, धीरकित्तिपुरिसा, ओहबला, अइबला, अनिहया, अपराजियसत्तु मद्दणरिपुसहस्समाणमहणा, साणुक्कोसा, अमच्छरी, अचवला, अचंडा, मितमंजुलपलावा, हसियगंभीरमहुरभणिया, अब्भुवगयवच्छला, सरण्णा, लक्खणवंजणगुणोववेया, माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजाय. सव्वंगसुदरंगा, ससिसोमागारकंतपियदसणा, अमरिसणा, पयंडडंडप्पयारगंभीरदरिसणिज्जा तालद्धउविद्धगरुलकेऊ, बलवगगज्जतदरितदप्पितमुट्ठियचाणूरमूरगा, रिटुवसभघातिणो, केसरि