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________________ १३ ) ( त्कारी प्रश्नों का व्याकरण जिस सूत्र में वर्णित है, वह प्रश्नव्याकरण है । १७ वर्तमान में उप लब्ध प्रश्न व्याकरण में तो ऐसी कोई चर्चा नहीं है । अतः यहाँ प्रश्न व्याकरण का यदि सामान्यतः विचार चर्चा रूप 'जिज्ञासा' १८ अर्थ किया जाए तो ठीक है । अहिंसाहिंसा एवं सत्य-असत्य आदि धर्माधर्मरूप विषयों की चर्चा जिस सूत्र में है, वह प्रश्न व्याकरण है । इस दृष्टि से वर्तमान में उपलब्ध 'प्रश्न व्याकरण' का नाम भी सार्थक हो सकता है । प्राचीन प्रश्न व्याकरण एक महान् विराटकाय अंग सूत्र था । उसके पदों की गणना लाखों की संख्या में थी । श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार प्रश्न व्याकरण के ९२ लाख १६ हजार पद होते हैं ।" दिगम्बर परम्परा पदों की संख्या ६३ लाख १६ १७ ६) पण्हावागरणेसु णं अंगुट्ठपसिणाई, बाहुपसिणाई, अद्वागपसिणाई, अन्ने वि विचित्ता विज्जाइसया, नागसुवर्णोह सद्ध दिव्या संवाया आघविज्जति । - नन्दी सूत्र, श्रुतज्ञान प्रकरण (ख) अद्वागंगुट्ठ-बाहु-असि-मणि-खोम - आइच्च मासियाणं, विविहमहापसिणविज्जा-मणपसिणविज्जा-देवयपयोगपहाणगुणप्पगासियाणं सब्भूयवगुणप्पभावनरगणमइविम्हय कराणं । - समवायांग सूत्र, सूत्र १४५ (ग) या पुनवद्या मंत्रा वा विधिना जप्यमानाः पृष्टा एव शुभाशुभं कथयन्ति । - नन्दी सूत्र, मलयगिरिवृत्ति (घ) जागा सुवण्णा अण्णे य भवणवासिणो ते विज्जामंतागरिसित्ता आगता साधुणा सह संवदंति - जल्पं करेंति । नन्दी चूर्णि (ङ) अन्ये विद्यातिशयाः स्तम्भ - स्तोभ-वशीकरण- विद्वेषी करणोच्चाटनादयः । - समवायांगवृत्ति (च) प्रश्नविद्या यकाभिः क्षौमकादिषु देवतावतारः क्रियते । — स्थानांग, अभयदेवीयावृत्ति १० स्थान १८ - प्रश्नः प्रतीतः तद्विषयं निर्वचनं व्याकरणम् । १६ --- (क) पदग्गं दोणउतिलक्खा सोलस य सहस्सा । (ख) द्विनवतिर्लक्षाणि षोडश च सहस्राणि । - नन्दी सूत्र, मलयगिरिवृत्ति - नन्दी चूर्णि —समवायांगवृत्ति
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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