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________________ ३०० अमरदीप राजनीतिक, नैतिक आदि सभी विचारधाराओं की भी जानकारी प्राप्त होती है। इस दृष्टि से ऋषिभाषित सूत्र को विशेष महत्व प्राप्त हो जाता है, क्योंकि इसमें विभिन्न अर्हतषियों के वक्तव्यों के माध्यम से तत्कालीन जनमानस की दशा का परिज्ञान होता है। साथ ही धार्मिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विचारधाराओं के स्वर किस रूप में प्रस्फुटित हुए, इस प्रवाह पर तथ्यपूर्ण प्रकाश पड़ता है। अब मैं उन अहंतषियों के नाम गिनाता है णारद-वज्जियपुत्ते-असिते-अंगारसि-पुप्फसाले य। वक्कल-कुम्मा-केवलि-कासव तह तेतलिसुते य ॥ मंखली-जण्ण-भयालि-बाहुय-मुह-सोरियाण विविपू । . वरिसकण्हे-आरिय-उक्कलवादी य तरुणे य॥ दगभाले-रामे य तहा हरिगिरि-अम्बड-मयंग-वारत्ता। तसो य अद्द य वरमाणे-वाउ वा तीसतीभे ॥ पासे-पिंगे-अरुणे-इसगिरि-अहालए य वित्त य । सिरिगिरि-सातियपुत्ते-संजय-दीवायणे चेव ॥ तत्तो य इंदणागे-सोम-यमे चेव होइ वरुणे य। वेसमणे य महप्पा चत्ता पंचेव अक्खाए ॥ . अर्थात्-(१) नारद (२) वज्जियपुत्र . (३) असित (४) अंगरिसि (५) पुष्पसाल (६) वल्कलचीरी (७) कूर्म (८) केतलि (पुत्र) (६) काश्यप . (१०) तेतलिपुत्र (११) मंखली (१२) यज्ञ (१३) भयाली (१४) बाहुक (१५) महु (१६) सोरियायण (१७) विदु (१८) वरिसवकृष्ण (१९) आरियायन (२०) उत्कलवादी (२१) तरुण (गाथापतिपुत्र) (२२) दगभाली . (२३) रामपुत्र (२४) हरि (२५) अम्बड (२६) मातंग
SR No.002474
Book TitleAmardeep Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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