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________________ सम्यक् निर्णय का सदुपाय २८३ इसीलिए वरुण ऋषि कहते हैं, जब मन में किसी के प्रति राग हो, या द्वष हो तो व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले सकता, क्योंकि राग-द्वेष-युक्त दृष्टि वस्तु का सही मूल्यांकन नहीं कर पाती । अतएव कहा गया है कि राग-द्वेष से रहित बुद्धि ही ठीक निर्णय ले सकती है, क्योंकि व्यक्ति का मन तब स्वस्थ और शान्त होता है । एक अंग्रेज विचारक ने कहा है - Never make a decision, when you are down-hearted. जब तुम्हारा मन खिन्न हो, तब किसी प्रकार का निर्णय न लो। आवेश के क्षणों में लिया हुआ निर्णय ठीक नहीं होता, फिर वह आवेश राग का हो, या द्वष का । अतः वस्तुस्वरूप को समझने और सम्यक् निर्णय लेने के लिए आपको राग-द्वेष से रहित होना चाहिए।
SR No.002474
Book TitleAmardeep Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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