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________________ जैसा बोए, वैसा पाए १६५ पर्याय ऐसी है, जहाँ जाने पर आत्मा के ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि गुणों पर गाढ़ा काला पर्दा पड़ जाता है । घोर यातना के समय, घोर दुःख और कष्ट के समय न तो धर्माचरण की सूझती है; न क्षायिक सम्यग्दृष्टि के सिवाय किसी को शुद्ध विचार ही सूझता है, तत्त्वज्ञान तो बहुत आगे की बात है। नारक पर्याय अशुभ कर्मों की प्रतिध्वनि है। प्रतिध्वनि को सुन्दर बनाने के लिए मनुष्य को पहले ध्वनि को सुन्दर बनाना होगा। यदि नारक पर्याय से बचना है तो उसके हेतुभूत कर्मों से बचना होगा। कार्य को समाप्त करने के लिए कारण को मिटाना होगा। अपने जीवन के निर्माता आप स्वयं हैं बन्धुओ! आप सबको यह सोचना है कि हमें कैसा बनना है ? अपने जीवन के निर्माता-त्राता आप स्वयं ही हैं । आपके अच्छे और बुरे कार्य ही आपको अच्छा और बुरा बनाते हैं। एक अंग्रेज विचारक ने ठीक ही कहा था 'Good actions enable us and we are the sons of our deeds.' - हमारे अच्छे कार्य हमको अच्छा बनाते हैं, क्योंकि हम अपने कार्यों के पुत्र हैं। वस्तुतः आपके जीवन का मूल्यांकन आपके कार्य ही करते हैं। जिंदगी की लम्बाई, जिंदगी की अच्छाई का मापदण्ड नहीं हो सकती। मानव की अपेक्षा बाघ, चीतों, सो तथा नारकों की जिंदगी बहुत लम्बी होती है, किन्तु उससे क्या उनकी जिंदगी अच्छी थोड़े ही मानी जायगी। एक अन्य अंग्रेज दार्शनिक के शब्दों में 'A life spent worthily should be measured by deeds and not by years,' जिंदगी कितनी कीमती रही है, यह वर्षों से नहीं कार्यों से नापी जाती है। आप भी अपनी जिंदगी विचारपूर्वक अच्छे ढंग से बिताइए, उसका प्रतिफल आपको अच्छा ही मिलेगा। 00
SR No.002474
Book TitleAmardeep Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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