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________________ | आशीर्वचन . एक विद्वान ने कहा है दुर्लभं त्रयमेवैतद् दैवानुग्रह हेतुकम्। ___ मनुष्यत्वं मुमुक्षत्वं महापुरुष संश्रयः। तीन चीजें मिलना बड़े सौभाग्य की बात है- मनुष्यता, मुक्ति की . साधना और महापुरुषों की सेवा। मनुष्य, जीवन के सर्वोच्च विकास शिखर पर ।। पहुँच सकता है, उसके पास शक्ति है, ज्ञान है और संकल्प भी है। मनुष्य जीवन । एक अमृत-कलश है, इसमें ज्ञान-विवेक-तप-श्रद्धाशील पुरुषार्थ का अमृत भरा है। इस अमृत से वह समूचे संसार को आधि-व्याधि से मुक्त कर समाधि-शांति और आनन्द प्रदान कर सकता है। एक आचार्य ने मानव जीवन को कल्पवृक्ष बताया है, जिनेन्द्र भक्ति, गुरु-सेवा, शास्त्र-श्रवण, दान आदि उसके अमृत-फल हैं। इन अमृत-फलों का , रसास्वाद करने वाला स्वयं अमर बन सकता है और अमरता का मार्ग संसार को बता सकता है। प्रस्तुत पुस्तक पद्म-पुष्प की अमर-सौरभ में श्री वरुण मुनि जी ने मानव जीवन की महिमा का मनोरंजक और भावपूर्ण वर्णन करते हुए इस जीवन को सफल और कृतार्थ बनाने वाले दिव्य गुणों का बहुत ही विस्तारपूर्वक और रुचिकर शैली में वर्णन किया है। जिसे पढ़कर पाठक साहित्य का आनन्द लेने के साथ ही शिक्षा का अमृतरसास्वाद भी प्राप्त कर सकेंगे। पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म.सा. के पौत्र शिष्य श्री वरुण मुनि जी एक युवक साधक हैं। अध्ययन-गुरु-सेवा के साथ वे भजनों की : सुन्दर रचना भी करते हैं और अपने मधुर कंठ से सुनाकर भव्य-भक्तजनों को आनन्दित कर देते हैं। इन्होंने बहुत ही अध्ययन अनुशीलन के साथ इस पुस्तक का लेखन किया है। आशा है भविष्य में इससे भी अधिक श्रेष्ठ और उपयोगी लेखन कर साहित्य श्री की वृद्धि करते रहेंगे। -प्रवर्तक अमर मुनि । (६)
SR No.002472
Book TitlePadma Pushpa Ki Amar Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarunmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2010
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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