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भोजन का विधान किया है। पुराणों का शाक्त सम्प्रदाय धर्म का लौकिक रूप है एवं लोक मानस को चित्रित करता है। देवी सम्बन्धी व्रत एवं उद्यापन आज भी अधिकतर स्त्रियों में ही प्रचलित हैं; एवं कन्यापूजन तो नवरात्रों का एक अनिवार्य अंग ही बन गया है । देवीपुराण में स्त्री शिक्षा का भी प्रार्य दिखाई देता है। मन्त्र का जप, हवन, देवी शास्त्रवाचन आदि में भी स्त्रियां निष्णात दिखलाई देती हैं।
कामाख्या या कामरूप का शक्तिपीठ के रूप में कई बार उल्लेख करते हये भी यह पुराण इस तीर्थ को बहुत अधिक महत्व नहीं देता है । जब कि बाद में लिखा गया कालिका पुराण तो इस तीर्थ का माहात्म्य बहत अधिक वर्णन करता है। प्रस्तुत पुराण तो विन्ध्यवासिनी देवी का ही अधिक वर्णन करता है।
___ देवीपुराण एक से अधिक बार शक्तिपीठों का वर्णन करते हुए कामरूप', कामाख्या', बंग', राधा', नरेन्द्र, समतट', एवं वर्धमान आदि तीर्थों का वर्णन करता है। ये सभी स्थान पूर्वी भारत अर्थात् बंगाल एवं आसाम प्रदेश के हैं।
___ एक बहुत ही अपरिचित शक्तिपीठ का नाम भी इस पुराण में वरिणत है। यह नाम उज्जयिनी है जो पश्चिमी बंगाल के वर्दवान जिले में स्थित है। देवी का नाम उजानी जो स्थानीय ही हो सकता है--दिया गया है। जिससे सिद्ध होता है कि पुराण का यदि उदभव नहीं तो कम से कम प्रकाशन, प्रचार एवं प्रामाणिकता बंगाल में ही हुई है। बृहधर्म पुराण भी इस तीर्थ का उल्लेख करता है एवं बंगाल के निबन्धकारों द्वारा भी इसका उल्लेख शाक्त महापीठों में किया गया है।"
देवीपुराण में यद्यपि शक्तिपीठों के उद्भव को कथा नहीं मिलती है फिर भी निम्नलिखित शक्ति तीनों व पीठों का वर्णन मिलता है ।
विन्ध्याचल, हेमकुट, महेन्द्र, हिमगिरि, सह्य पर्वत, श्रीगिरि, गंगा, नर्मदा, उज्जयिनी, निषध, ' द्रोणाचल, अर्बुद, मलय-विन्ध्य क्षेत्र; कुरूक्षेत्र, समुद्र तट, किष्किन्धा, कुशस्थली, जालन्धर, कोल पर्वत, गन्ध मादन, विदेह, पुष्कर, नैमिष, काशिकाश्रम, वेद पर्वत, कामाख्या, सरस्वती तट, पूर्वसिन्धू, लंका, कैलाश,
१. देवी पु०-६१.७६,। २. वही. ६१.५६; ६०.२२; ३. बही. ४२.८, ४६.७१ ४. वही. ३६.६, १४४ ५-६ वही. ४३. ६६ ७-८ वही. ३६.१४४, ४२.६.
वही. ४६.७० १०. वही. ३८.८. ११. R. C.Hazra-up-purana studies Vol II P. 85.
also Footnote-125.