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________________ २८ भाषा इस पुराण की भाषा संस्कृत है और छन्दोबद्ध है; कुल एक-दो स्थानो पर हो गद्यांश प्राप्त होते हैं । भाषा में व्याकरण की दृष्टि से काफी त्रुटियां हैं जो प्रायः सभी पुराणों की भाषाओं में प्राप्त होती हैं । इसके अतिरिक्त इस प्रकार की अपाणिनीय भाषा बौद्ध संस्कृत ग्रन्थों में भी उपलब्ध होती है। महावस्तु, ललितविस्तर, मंजू श्रीमूलकल्प आदि बौद्ध ग्रन्थों के आधार पर आधुनिक विद्वानों द्वारा ऐसी भाषा को हाइब्रिड संस्कृत नाम दिया गया है। पौष्कर संहिता आदि वैष्णव आगमों में भी इसी प्रकार की भाषा मिलती है तथा रामायण और महाभारत की भाषा भी इससे काफी समानता रखती है। भाषा का यह स्वरूप काफी पूराना है तथा अधिकतर प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ इसी में लिखे गये हैं । भाषा की दृष्टि से देवीपुराण में प्रयुक्त कुछ विशेषताएं उदाहरण के रूप में उधत की जा रहीं हैं। १-देवी शब्द के स्थानपर 'देव्या' आकारान्त रूप का बाहुल्य से प्रयोग किया गया है । २-ऋकारान्त शब्दों को प्रायः आकारान्त प्रयोग किया गया है । भूतिकर्ताय नमः-(२६/३४) । "-मातृ के स्थान पर माता, मातरा, मातारा आदि शब्दों का प्रयोग। ४-हलन्त शब्दों को भी आकारान्त प्रयुक्त किया है । 'अंसते महदापदा (३३/५७); सम्पदा धर्मभोगा हि (८/२५) । ५–अन्तिम व्यंजन का कई स्थानों पर लोप किया गया है। अथर्व= अथर्वन् के स्थान पर, भस्म =भस्मन् के स्थान पर । ६-सन्धि नियमों का स्थान-स्थान पर उल्लंघन हुआ है। ७-शब्दों का लिंग परिवर्तन भी हुआ है। पुलिंग शब्द नपुंसक लिंग में। यच्च जोवं मतं बुधैः । (८/५१) । योगमन्त्रं विशिष्यते । (१०/३ ।) नपुसक लिंग के शब्द पुलिंग में प्रयुक्त हुये हैं। नक्षत्रा बहुरूपाश्च-/(३६/१२) । गन्धपुष्पाश्च दातव्याः । (५४/६) । अनुवर्तना-(स्त्रीलिंग)-अनुवर्तन (नपुंसक) के स्थान पर। . वाहना (१.१६.) (स्त्री) वाहन (नपुंसक) के स्थान पर । दाता पुल्लिग (७/४५) (३१/३६) दात्री के स्थान पर । होम कार्यम् ५७/१४ । पुल्लिग के स्थान पर नपुंसकलिंग का प्रयोग हुआ है । . स्त्रीलिंग शब्दों का नपुसकलिंग में प्रयोग हुआ है-प्रमदानि च (२२/१६) । पताकानि (१२/४२). अनेकानि च शोभानि (५०/६१) ।
SR No.002465
Book TitleDevi Puranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpendra Sharma
PublisherLalbahadur Shastri Kendriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year1976
Total Pages588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, L000, & L015
File Size11 MB
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