SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 10. 11. 12. .......... की सुवास से आत्मा सुवासित बनती है। (धूप, सम्यग्दर्शन, केसर) गौतम गणधर के बहुत समझाने पर भी .......... नहीं माने। (गोपालक, गौशालक, देवशर्मा) आर्यावर्त नारी को .......... पद प्रदान किया गया है। (बहनजी, गृहिणी, मार्डन) 12 Marks .. . Q.C.मुझे पहचानो? Who aml? 1. मुझमें अंडे का रस है। प्लीज़ मुझे अपने दांतों पर मत घिसें। 2. हम दोनों माउंट आबू की हॉस्टल में पढ़ते थे। मैं विश्व को मापने का साधन हूँ। प्रभु के विरहकाल में शासन की धुरा हम संभालते हैं। मुझे सिद्धशीला पर ही चढ़ाएँ। पूजा में कैसे वस्त्र पहनना चाहिए उसका वर्णन मेरे में किया गया है। वीर के निमित्त से मैं कर्मों से भारी बना। मुझसे अंधकार का नाश एवं ज्ञान का प्रकाश होता है। 9. मुझे बनाते समय खास ध्यान रखें कि मुझमें पानी का अंश न रह जाए। 10. मैं वीर प्रभु को पांडुकवन में ले गया। 11. हम प्रभु के अभिषेक के लिए पत्र संपुट में पानी लेने गये थे। 12. मुझे वंदन करने से तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन होता है। .. 12 Marks Q.D. सही जोड़ी बनाईयें। (Match the following):केवलज्ञान होजरी का कमल 125 योजन मक्खी नमुत्थुणं कुंभोजगिरि जग चिंतामणि अग्नि बुणामां 7 राज दिव्य ध्वनि अपायपगमातिशय उल्टी पूर्व दिशा 1 योजन ऋजुवालिका कुसंस्कार नरक 10. स्नान अष्टापद 11. महाराष्ट्र योगमुद्रा 12. सूर्योदय गैस दुश्मन
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy