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________________ 10. कल्लाण कंदं सूत्र भावार्थ - चैत्यवंदन-देववंदन में बोली जाने वाली इस स्तुति की पहली गाथा पाँच भगवान की, दूसरी गाथा 24 भगवान की, तीसरी गाथा श्रुत ज्ञान की, चौथी गाथा श्रुत देवी की है। नोट- इसमें से तीनथुई वाले तीन थुई सीखें, चारथुई वाले चार थुई सीखें, इसी प्रकार संसार दावानल एवं काव्य विभाग में भी समझ लें। 'कुल्लाण कंदं पढ़म 'जिणिंद, 'कल्याण के कारणरुप प्रथम 'जिनेन्द्र (श्री ऋषभदेव को) 'संति तओ नेमिजिणं मुणिंद। श्री शान्तिनाथ को, तथा 'मुनिओं में श्रेष्ठ श्री नेमिनाथ को "पासं पयासं "सुगुणिक्क"ठाणं, 'ज्ञानप्रकाश रुप श्री "पार्श्वनाथ को,(व)'सद्गुणों के "स्थान रुप "भत्तीइ"वंदे "सिरिवद्धमाणं ।।1।। श्री "वर्धमान स्वामी.को मैं "भक्ति से "वन्दन करता हूँ।।1।। 'अपार संसार समुह पारं, 'अनन्त संसार सागर के किनारे को 'पत्ता"सिवं "दिंतु "सुइक्क "सारं। प्राप्त किए हुए , देव 'समूह से वंदनीय सव्वे "जिणिंदा सुरविंद वंदा, कल्याण की "लताओं के 'विशाल 'कल्लाण वल्लीण "कन्द रुप "ऐसे सर्व (चौवीश) "जिनेन्द्र मुझे "विसाल"कंदा।।2।। . . "विश्व में "सारभूत "मोक्ष सुख को "प्रदान करो ।।2।। 'निव्वाण मग्गे वर जाण कप्पं, 'मोक्ष मार्ग में श्रेष्ठ जहाज के समान समस्त कुवादियों के 'पणासियासेस कुवाई 'दप्पं; 'अभिमान को नष्ट करने वाले पंडितों के लिए "मयं "जिणाणं "सरणं 'बुहाणं, "शरण भूत''तीनों लोक में "श्रेष्ठ "जिनेश्वर प्रभु के "नमामि "निच्चं "तिजग"प्पहाणं ।।3।। "मत (श्रुत ज्ञान) को "मैं नित्य "नमस्कार करता हूँ।।3।। कुंदिंदु गोक्खीर तुसार वन्ना, मचकुंद, गाय का दूध, बर्फ के समान रंग वाली, 'सरोजहत्था कमले 'निसन्ना; हाथ में कमल धारण करने वाली एवं कमल पर बैठने वाली "वाएसिरी पुत्थय वग्ग"हत्था, 'पुस्तकके समूह को "हाथ में धारण करने वाली 'सरस्वती देवी! "सुहाय सा“अम्ह "सया पसत्था।।4।।"प्रशंसनीय देवी! "सदा "हमारे "सुख के लिए हों ।।4।।
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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