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________________ जायेंगे।" मोक्षा को विदाई देते समय जयणा और जिनेश ने मोक्षा के सास-ससुर सुशीला और प्रशांत से कहा कि- “हमने अपनी बेटी को नाज़ो से पाला है। उसे अपनी पलकों पर बिठाकर बड़ा किया है यदि नादानी में इससे कोई गलती हो जाए तो बेटी समझकर माफ कर देना।" तब मोक्षा के ससुरजी ने कहा"अरे आप ये कैसी बात कर रहे हैं? आप किसी प्रकार की चिंता मत करना। अपनी बेटी से भी ज्यादा इसे प्रेम देंगे। इसे कभी अपने मायके की याद भी नहीं आने देंगे।" इस प्रकार अश्रु भरी आँखों से अपने दिल पर पत्थर रखकर जयणा और जिनेश ने मोक्षा को विदा किया। अब आगे मोक्षा और डॉली के साथ क्या होगा? क्या वे दोनों वैवाहिक जीवन में खुशी से रह पायेगी? या फिर उनके जीवन में दुःख के पहाड़ टूट पड़ेंगे ? सुख और दुःख की धूप-छाँव में क्या वे अपने माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कारों को, उनके द्वारा दी गई परवरीश को टिका पायेगी? अपने संस्कारों का फल सुषमा को ऐसा मिला कि वह ससुराल जाती अपनी बेटी को आशीर्वाद भी नहीं दे पाई। उधर प्रेम के रंग में रंगी डॉली ने अपना सर्वस्व समीर को अर्पण कर दिया। साथ ही समीर ने भी उसे वह सारी खुशियाँ दी, जिसकी डॉली ने कल्पना भी नहीं की थी परंतु क्या यह खुशियाँ टिक पाएगी? प्रेम का यह नशा डॉली को मुस्कान देता है या सज़ा ? देखते है जैनिज़म के अगले खंड "प्रेम का नशा जिंदगी में सजा” में। इस तरफ अपने माता-पिता से प्राप्त हितशिक्षा लेकर मोक्षा ने ससुराल में पहला कदम रखा। मन में सभी को खुश करने के अरमान थे परंतु शायद भाग्य इतना प्रबल नहीं था। वह अपने ससुराल वालों के जीवन में अमृत सींचे उसके पहले ससुराल वालों ने अपने व्यवहार द्वारा उसके जीवन में ज़हर घोल दिया। उसके हाथ की मेहंदी का रंग उतरने के पहले ही उसके अरमानों का रंग उतर गया। उस पर आरोपों की बौछार शुरु हो गई थी। खैर यह बात तो स्वाभाविक ही है कि जयणा के संस्कारों की छाया में पली-बड़ी मोक्षा इस ज़हर का जवाब ज़हर से तो नहीं देगी परंतु क्या वह उस ज़हर को अमृत में बदल पाती है? यदि हाँ तो कैसे ? देखते है जैनिज़म के अगले खंड "ज़हर बना अमृत' में। 150
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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