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मिलने के कारण मैं ऑटो के लिए खड़ी थी और तभी समीर वहाँ से गुज़रा और मुझे लिफ्ट दे दी तो इसमें गलत ही क्या है ? मॉम लगता है आप मुझ पर कुछ ज्यादा ही शक कर रही है।
(इस तरह डॉली की हरकतों से सुषमा को डॉली पर शक होने लगा। वह अब डॉली के हर कार्य पर नज़र रखने लगी कि डॉली कहाँ जाती है ? क्या करती है? क्या खाती है ? क्या पीती है ? किससे बात करती है ? किसके साथ उठती-बैठती है आदि। अगले दिन...) डॉली - मॉम! मैं कॉलेज जा रही हूँ। मुझे 500 रु.चाहिए। सुषमा- अरे ! डॉली! अभी दो दिन पहले ही तो तुम्हें 1000 रु. दिए थे, उनका क्या किया? डॉली - मॉम! क्या हो गया है आपको? अब मैं कोई बच्ची नहीं हूँ, कि आप मेरे पास से एक-एक पैसे का हिसाब मांगे। आप मुझे पैसे दे रही है कि नहीं? वर्ना मैं डेड के पास से ले लूँगी।
(सुषमा आखिर क्या करती? बेटी की जिद्द के आगे उसे झुकना ही पड़ा। पर वह भूल रही थी कि इस जिद्द के बीज भी उसी ने ही बोए थे और उस तरफ) जयणा- बेटा, आज महीना खत्म हो गया, ये लो तुम्हारी पॉकेट मनी। मोक्षा - मम्मी! मेरी पिछले महीने की पॉकेट मनी भी वैसी की वैसी ही पड़ी है। कॉलेज लेने और छोड़ने पापा आते है और बाहर का मैं खाती नहीं हूँ तो खर्च किस चीज़ का। मम्मी मुझे नहीं चाहिए। जयणा- बेटा! पास में थोड़े पैसे तो होने ही चाहिए। क्या पता कब पैसों की जरुरत पड़ जाए।
(इधर एक बार सुषमा ने जरुरी काम होने से डॉली को फोन किया। लेकिन डॉली का मोबाईल बंद होने से डॉली की सहेली स्वीटी को फोन किया। तब स्वीटी ने बताया कि डॉली आज कॉलेज ही नहीं आई। डॉली कॉलेज के समय के पहले ही घर आ गई। तब सुषमा ने उसे पूछा-) सुषमा- डॉली! आज तुम कहाँ गई थी? और इतनी जल्दी कैसे आ गई? डॉली- मॉम! आपको पता ही है कि मैं कॉलेज़ गई थी, और आज सिर दुःख रहा था, इसलिए जल्दी आ गई। सुषमा - (गुस्से में)डॉली! झूठ मत बोलो। मैंने तुम्हारा मोबाईल बंद होने से स्वीटी को फोन किया था और उसने बताया कि तुम कॉलेज नहीं आई।
(सुषमा कुछ कहे उसके पहले ही डॉली अपने रुम में चली गई। इससे सुषमा को डॉली पर शक होने लगा और डॉली के हर काम पर ध्यान देने लगी। उस रात जब डॉली के मम्मी-पापा सो गए। तब डॉली ने रात को 11 बजे समीर को फोन किया।