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________________ (विशेष- प्रदक्षिणा देते समय मंदिर संबंधी शुद्धि का ध्यान रख सकते हैं। कमी लगे तो योग्य व्यवस्था या सूचना भी कर सकते हैं।) स्तुति बोलने की विधि * प्रदक्षिणा के बाद किसी को प्रभु दर्शन की अंतराय न पड़े, इस तरह पुरुष प्रभु के दाहिनी तरफ एवं स्त्री बायी तरफ खड़े रहें तथा * हाथ जोड़कर, कमर तक झुककर प्रभुजी को अर्धावनत प्रणाम करें एवं स्तुति बोले। मुख कोथ बांधने की विधि * प्रभुजी की दृष्टि न पड़े ऐसे स्थान पर खड़े रहकर अष्टपड़ वाला मुख कोश बांधे। पूजा की सामग्री तैयार करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें * सर्वप्रथम केसर-गृह में जाकर बासी काजा निकाले। * कोठी, बाल्टी, कुण्डी, पाटला, चंदन घिसने का पत्थर आदि सभी को पूंजणी से पूंजे एवं सर्व सामग्री को धूप से धूपाएँ। * पक्षाल हेतु कुएँ का पानी छानकर भरें एवं जीवाणी की जयणा करें। पक्षाल तैयार करने की विधि * पानी में दूध पर्याप्त मात्रा में मिलायें। * पंचामृत पक्षाल-पानी, शक्कर, दही, दूध, घी को मिलाकर बनायें। * मुखकोश बाँधकर ही पक्षाल तैयार करें, किन्तु पूजारी के पास तैयार नहीं करायें। * पक्षाल भरे बर्तन को ढूंककर रखें। * पूजा हेतु केसर एवं पुष्प लेने से पूर्व थाली, कटोरी, मुखकोश, अंगलूछणा आदि उपकरण धूपाएँ लेकिन केसर एवं पुष्प के जीवों को किलामणा पहुँचने से इन्हें नहीं धूपाएँ। लंदन घिसने की विधि * चन्दन अपने हाथों से ही घिसें। * चंदन घिसते समय मुखकोश बाँधे। * पूजा एवं तिलक करने के लिए अलग-अलग चंदन का उपयोग करें। * केसर घिसते समय केसर की डिब्बी को गीले हाथ से बंद न करें। गीलेपन से केसर में उसी वर्णवाले सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते है एवं उपयोग न रहने पर केसर के साथ उन जीवों का भी कच्चर घाण निकल जाता है।
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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