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गुजरात विभाग : ४ - राजकोट जिला
मांडवी चौक
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी १६६ वर्ष का प्राचीन मंदिर है। वि. सं. १८८२ वै. वद १० को प्रतिष्ठा हुई थी। और शान्तिनाथ तथा नेमिनाथ पास-पास में विराजमान हैं। ____ भव्य शिखरबन्द मंदिर हैं । भोयरा में भव्य प्रतिमा आदीश्वरजी की हैं। तथा कोटडा सांगाणी में से निकली प्रतिमा है।
इस मंदिर का जीर्णोद्धार होने पर २०४१ में हालार देशोद्धारक पू. आ श्री विजय अमृत सूरिजी म. तथा पू. आ. श्री भुवन सूरिजी म. की निश्रा में। मूलनायक सिवाय मार्गशीर्ष वदी १ को प्रतिष्ठा हुई थी। बाहर के भागों में पू. आ. श्री हेमसागर सूरि का गुरू मंदिर है। पास में उपाश्रय आंबेलशाला धर्मशाला
ठिकाना - मांडवी चोक, देराशेरी
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प्रहलाद प्लॉट जैन मंदिर
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
प्रहलाद प्लॉट
मूलनायकजी श्री महावीर स्वामी इस शिखर बन्द मंदिर के ऊपर मार्ग में संप्रति राजा के समय की श्री मल्लिनाथ भगवान की प्राचीन प्रतिमाजी हैं। सं. २०४३ में पू. मु. श्री जंबू वि. म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई हैं। इस संघ तथा देरासर का प्रारम्भ पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सूरिजी म. के उपदेश से उनकी निश्रा में हुआ था।
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