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१. जयपुर
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स्वामी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी ठिकाना : झवेरी बाझार ।
वि. सं. १७८४ में यह देरासर की प्रतिष्ठा हुई थी । दो मंझिला शिखरबंध विशाल मंदिर है । पांच खंड, काच की कलाकृति, उपर के भाग में श्री महावीर स्वामी की खड़ी प्रतिमा है । जो बहुत प्राचीन है । दूसरा श्री महावीर स्वामी का जैन देरासर जो दादावाडी में है । सने १९६५ में घर देरासर बना उसके के बाद सने १९८८ में ज्येष्ठ सुद १० के दिन शिखरबंध देरासर की पू. मुनीराज जयानंद विजय ( खरतर गच्छ) म. के वरद् हस्तों से प्रतिष्ठा संपन्न थी ।
इतिहास : (हाल पाकिस्तान) मूलनान शहर में रहनेवाले जैनों ने यहाँ प्रथम शिखरबंध मंदिर जयपुर में बनाया । ई.स. १९४७ में भारत-पाकिस्तान हुआ तब पाकिस्तान से जो जैन यहाँ आये वे अपने साथ १०० प्रतिमाजी लाये थे । इनमें से श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी प्रतिमा २००० साल पूरानी है । जो हाल घाटकोपर (मुंबई) में है । उस समय बर्मा - नेपाल- पाकिस्तानश्रीलंका का समावेश भारत में था। आज भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत के नगर पारकर शहर में जिनमंदिर है ।
नीचे के भाग में गुरुमंदिर और विशाल सुंदर देरासर है । प्रतिमाजी सुंदर है। ठिकाना डुंगरी रोड, जयपुर, शिवजी रामभवन, जैन धर्मशाला, भोजनशाला, आत्मानंद जैन सभा भवन ( जोहरी बाझार, घी वालों का रास्ता)
कमरा है । उपर
दादावाडी मोती
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मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
सुमतिनाथजी जैन देरासरजी
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