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________________ - - - श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ - - - मूलनायक श्री विमलनाथजी यह श्री विमलनाथजी देरासर शिखरबंध है । उपर की मंझिल पर श्री शितलनाथजी १५०० साल पूराने हैं । जो पहले नीचे मूलनायक थे । श्री विमलनाथजी का जिर्णोद्धार सं. २०३२ में हुआ था और प्रतिष्ठा भी संपन्न हुई थी । सब मिलाकर यहाँ पाँच देरासर है 19 विमलनाथजी, २ शांतिनाथजी - ३, ३ पार्श्वनाथजी, ४ श्री केसरिया आदीश्वरजी ५ श्री धर्मनाथजी सब शिखरबंध है । यहाँ जैनों के ८५० घर है । आयंबिल भवन और जैन धर्मशाला भी है। = बालोतरा जैन देरासरजी ६. जसोल मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी जसोल जैन देरासरजी मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी श्री सुपार्श्वनाथजीका देरासर प्राचीन और शिखरबंध है । इस के लेख में यह लिखा है । श्री शांतिनाथजी की गद्दी के नीचे सं. देरासर की आसपास गढ़ है । तलहटी में आया हुआ है । भींत के १२३० और १५२४ का लेख है । गद्दी नक्काशीवाली है । जैनों चौड़ाई ३.१/२ फूट की है । श्री सुपार्श्वनाथजी सं. १६८२ में के घर २५० है। प्रतिष्ठित हुआ थें । आरस की ७ प्रतिमाजी हैं । धातु की ४ श्री इसरचंद धींगडमल चालिसा (ट्रस्टी) है । मु. जसोल, प्रतिमाजी हैं । जसोल का पूराना नाम आशावाल था । सं. १६८२ वाया बालोतरा, जिला बाड़मेर पीन-३४४०२४ है। 醫學影剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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