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________________ श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ मूलनायक श्री संभवनाथजी भावनगर के सेठ श्री पुरूषोत्तमदास हेमजी ने इस मंदिर शिखरबन्धी की ११६ वर्ष पूर्व विक्रम सं. १९२८ माघ सुदी १३ को निर्माण कराकर प्रतिष्ठा करी हैं। जैनियों के १०८ तीर्थों में इसका समावेश हैं। भावनगर जब चसा नहीं था उसके पूर्व घोघा जाते हुए यात्रीगणों के संघ वरतेज होकर जाते थे। यहाँ पर दो उपाश्रय दो धर्मशालायें हैं। जैनियों के हाल में २५ घर हैं। भावनगर से केवल ६ कि.मी. हाईवे रोड ऊपर हैं। १०. महुवा (मधुपुरी) तीर्थ श्री महावीर स्वामी देरासरजी मूलनायक श्री जीवित स्वामी महावीर स्वामी श्वेतवर्ण पद्मासनस्थ, ९१ से.मी. महुवा का प्राचीन नाम मधुमति था। इस प्रकार का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में मिलता हैं । सेठ जावड सा जिन्होंने शत्रुजय गिरि का तेरहवाँ उद्धार कराया था उनकी जन्मभूमि का यह गाँव हैं। बारहवी सदी में कुमारपाल राजा के समय में सवा करोड सोने मोहरों से जिन्होंने उछामणी बोली बोलकर तीर्थमाला पहनी थी उन जगडूशा सेठ की भी यह जन्मभूमि हैं महावीर स्वामी की प्रतिमा को जीवित स्वामी कहते हैं इसका उल्लेख १४ वीं शताब्दी में लिखी गई तीर्थमाला नाम की पुस्तक में श्री विनयप्रभ विजयजी उपाध्याय जी ने किया हैं। श्री नंदीवर्धन राजा ने इस प्रतिमा को २५०० वर्ष पूर्व भराई थी। इस प्राचीन तीर्थ का शत्रुजय गिरिराज पंचतीर्थों में समावेश हैं। तीर्थो द्धारक पूज्य आ. श्री नेमिसूरीश्वरजी म. की यह जन्मभूमि और स्वर्गभूमि हैं। इस प्राचीन तीर्थ का संवत १८८५ माघ सुदी १३ में जीर्णोद्धार फिर से करके प्रतिष्ठा करने में आयी हैं। यहाँ पर पू. आचार्य श्री ने मिसूरीश्वरजी म. का जिस स्थान में अग्निसंस्कार किया था वहाँ नेमिविहार नाम प्रदान कर नवीन मंदिर का संवत २००६ में निर्माण कराया हैं । केशरिया आदीश्वर भगवान की प्रतिष्ठा हुई है। इसके पास में ही दूसरा नवीन मंदिर नेमिनाथ जिनालय का संवत २०१५ में निर्माण कराया हैं। महुवा रेल्वे स्टेशन हैं और बस के रास्ते में भी आ सकता हैं। गाँव के मध्य में ही मंदिर हैं। रिक्शा और घोडागाडी से आ सकते हैं। मंदिर के पास ही धर्मशाला हैं, भोजनशाला भी हैं। जैनियों के ४०० घर हैं। उना-भावनगर रोड पर आता हैं।
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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