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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
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मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथजी गर्भगृह में हाल के मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ की बाँये और गोख में पूराने मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथजी सं.१५४५ में भराये थे-नये मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथजी हाल में अतिथि स्वरूप बिराजमान है - इस की प्रतिष्ठा अब होनेवाली है । काम चल रहा है। जैनों के ८ घर है। श्री विजय लक्ष्मी सू.म. की यह जन्मभूमि है । एक जैन धर्मशाला है।
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६. शिरोडी
शिरोडी जैन देरासरजी
US s मुलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी
मंदिर छो मुक्ति तणा, मांगल्य क्रीडाना प्रभु ने इन्द्र नर ने देवता, सेवा करे तारी विभुः; सर्वज्ञ छो स्वामी वळी, शिरदार अतिशय सर्वना; घणुं जीव तुं घणुं जीव तुं, भंडार ज्ञानकळा तणा.
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी रंगमंडप में है । कुमारपाल के समय की बहुत पुरानी प्रतिमाएं है एक महावीर स्वामी की प्रतिमा उपर की मंजिल पर है । सं.१५३० का लेख है। आयंबील शाला भी है । जैनों के १२५ - घर है । जैन धर्मशाला भी है । जीर्णोद्धार हुआ है । सं. २०१८ में पू. आ. श्री विजय प्रेमसूरीजी म. के वरद् हस्तों से प्रतिष्ठा संपन्न हुई है। पीछे की ओर तीन मूतियाँ जो भगवान चिंतामणी पार्श्वनाथजी की है । वह सब कुमारपाल के समय की है।
शुं बाळको मावाप पासे बाळफ्रीडा नव करे; ने मुखमांथी जेम आवे तेम शुं नव उच्चरे ?; तेमज तमारी पास तारक ! आज भोळा भावथी, - जेवू बन्युं तेवू कहुं, तेमां कशुं खोटुं नथी.
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