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________________ श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ २. कदंमगिरि तीर्थ श्री कदम्बगिरि तीर्थ मूलनायक - श्री आदीश्वर भगवान पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, ऊँ. २ मीटर पालीताणा से लगभग १९ कि.मी. बोदानानेस (प्राचीन नाम कदम्बपुर) गाँव के पास कदम्बगिरि पर्वत पर एकान्त जंगल में हैं। यह तीर्थ प्राचीन हैं। श्री शत्रुजय गिरि का यह एक शिखर है, तथा गिरिराज की तीन प्रदक्षिणाओं में एक बारह कोस की प्रदक्षिणाओं में यह स्थान था। पिछली चौबीसी के दूसरे तीर्थंकर श्री निर्वाणी प्रभु के गणधर श्री कदम्बमुनि ने अनेक मुनिओं के साथ यहीं पर मोक्ष प्राप्त किया था। जिससे इस पर्वत का नाम कदम्बगिरि पड़ा हैं। श्री शत्रुजय पंचतीर्थी में यह एक तीर्थ गिना जाता हैं। इस तीर्थ का उद्धार पूज्य नेमिसूरीश्वरजी महाराज के उपदेश से हुआ हैं। कदम्बगिरि पर्वत पर समीप में दो दूसरे मन्दिर हैं। जिनेक मूलनायक श्री नेमिनाथ भगवान और श्री सीमन्धर स्वामी हैं। पहाड़ के शिखर के ऊपर दो देरियाँ हैं । जहाँ पर निर्वाणी प्रभु तथा कदम्ब गणधर की चरण पादुकायें हैं। पहाड ऊपर एक दूसरा मंदिर हैं। सामने नूतन प्रतिमाओं का भंडार हैं। छोटी-बड़ी हजारों प्रतिमायें निर्माण करा कर संग्रहित की हुई हैं। तलहटी के गाँव में भी वीर प्रभु का विशाल मंदिर हैं। इस पहाड पर श्री आदिनाथ भगवान की भव्य सुन्दर प्रतिमा हैं। भंडार में रखी प्रतिमाओं की कला दर्शनीय हैं। पहाड़ का प्राकृतिक सौन्दर्य मनमोहक हैं। पास में पालीताणा रेल्वे स्टेशन १९ कि.मी. दूर है। बस और टेक्सी की व्यवस्था है। यहाँ से ही भंडारिया गाँव ८ कि.मी., बोदानानेस गाँव ४ कि.मी. दूर है। इस गाँव से पहाड़ की चढ़ाई शुरू हो जाती हैं। बोदानानेस में मंदिर के पास ही धर्मशाला हैं, भोजनशाला भी हैं। डोली की व्यवस्था भी हैं। सेठ श्री जिनदास धर्मदास धार्मिक ट्रस्ट कदम्बगिरि, ग्राम - बोदानानेस पो. भंडारिया जिला - भावनगर (गुजरात) पिन - ३६४०५०
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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