SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 376
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुजरात विभाग १८ वलसाड जिला DDDDDDDDDD00 ७. बगवाडा मूलनायक श्री अजितनाथजी मूलनायकजी - श्री अजितनाथजी यहाँ पर पहले घर मंदिर था। उसके बाद शिखरबन्द मंदिर बना । और उसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १४६८ में हुई। संप्रति राजा के समय की चमत्कार युक्त प्रतिमा है। प्राचीन मंदिर की व्यवस्था दमण से होती थी उसके बाद लगभग २०० वर्ष पहले बगवाडा जैन संघ के भाई राजस्थान में से आये हुए उनको व्यवस्था सोंपी। जीर्णोद्धार वि. सं. १९६८ जेठ सुदी में हुआ है। यहाँ पर पेशवा के समय का किला है। जो मंदिर के पीछे है। अभी डेढ़ एकड़ जमीन संघ को मिली है। जिससे धार्मिक प्रवृत्तियों का विकास होगा। सुन्दर आलीशान धर्मशाला है। भोजनशाला एवं उपाश्रय है। बगवाडा- बम्बई वापी के पहले का रेल्वे स्टेशन है। हाइवे पर है। लोकल ट्रेने यहाँ से छूटती है। वापी से ६ कि.मी. व उदवाड़ा से ३ कि. मी. है। बगवाडा जैन मंदिर ८. वापी मूलनायकजी श्री अजितनाथजी इस मंदिर की प्रतिष्ठा विधि वि. सं. १९९१ फा. सुदी २ के दिन करवाने आयी है। गाँव में चिन्तामणि पार्श्वनाथ का प्राचीन मंदिर है। सोसायटी में अजितनगर में शिखरबन्द जैन मंदिर है। जी.आई.डी. सी. में भी बड़ा मंदिर श्रीपाल नगर मुंबई द्वारा बना है। दूसरा घर मंदिर भी है। ३५०० घर है। उपाश्रय, धर्मशाला है। अहमदाबाद- बम्बई रेल्वे तथा हाईवे मार्ग पर आता है। “अक्षय तृतीया” DDDDDDDDDDDD (३१९
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy