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________________ (२७९ गुजरात विभाग : १४- पंचमहाल जिला 2000 666 30003 १. गोधरा શીદતિની; एसनाथ न श्री शांतिना मूलनायक श्रीशान्तिनाथजी-दोनोऔर श्रेयांसनाथजीतथा शान्तिनाथजी मूलनायकजी - श्री शान्तिनाथजी आदि सात प्रतिमाये तथा गोधरा की प्राचीन छोटा मंदिर में लायी गई प्राचीन मंदिर ६०० वर्ष का था। इस प्राचीन मंदिर में मूलनायक श्री । मूलनायक श्री धर्मनाथ आदि तीन प्रतिमाये आचार्य श्री सागरानंद सू. म. के शान्तिनाथ की प्रतिमा खंडित हो जाने के कारण श्री संघ ने दहेज नगर से। शिष्य श्री सुरेन्द्र सागरजी म. आदि मुनिवरों की निश्रा में वि. सं. २०१९ को संप्रति महाराज के द्वारा भराई हुई थी श्री शान्तिनाथ प्रभु की अलौकिक मगशिर सुदी एकम को प्रतिष्ठित की है। प्रतिमाजी तथा पावागढ़ से लायी गयी चिन्तामणि पार्श्वनाथ आदि २८ उपाश्रय, धर्मशाला, भोजनशाला है। प्रतिमाजी की वि.सम. १९९८ के फा. व. ३ के रोज आ. श्री विजय अहमदाबाद-इन्दौर रेल्वे मार्ग पर आता है। वडोदरा-अहमदाबाद से बसे नेमिसूरिजी और आ. श्री विजय अमृत सूरिजी म. विजय लावण्य सूरिजी म. मिलती है। आदि के वरद हस्त से प्रतिष्ठित कराने में आयी है। ४० वर्ष पूर्व सोसायटी में नवीन मंदिर उपाश्रय बना है। जीर्णोद्धार - मूल गर्भगृह के शिखर के साथ स्थायी रखकर आसपास दो । नवीन गर्भगृह बनवाये है। और पावागढ़ से लायी चिन्तामणि पार्श्वनाथ
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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