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मूलनायक श्री शीतलनाथजी
इस मंदिर की प्रतिष्ठा सं. २०१० में मगशिर सुदी ५ को पूज्य बागड़ देशोद्धारक आ. श्री कनकसूरिजी म. की निश्रा में हुई है।
सोसायटी में श्री वासुपूज्य स्वामी मंदिर बस स्टेन्ड के समीप में है। बहुत से यात्रीगण आते है। पू. हेमचन्द्र सू. म. की प्राचीन मूर्ति है। जैनों के १२० घर हैं । अहमदाबाद- पालीताणा हाईवे विहार का रास्ता है।
मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
१४. वीरमगाम
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श्री हेमचन्द्र सू. म. की जन्मभूमि है। उसके अनुरूप स्मारक उप जीवन के प्रसंग आरस में उत्कीर्ण गुरु मंदिर तैयार हुआ और प्रतिष्ठा २०५२ फा सु. १० को पू. आ. श्री राजतिलक सू. म. पू. आ. श्री महोदय सू. म. से हुई।
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यह प्रतिमाजी प्राचीन है। १५० वर्ष पहले पाटण से लाई गई है। यहाँ के मंदिर बहुत प्राचीन है । ३५० वर्ष पहले बनाये है। संप्रति महाराज के समय में प्रतिमा पाटण के कृषक के खेत में से (गाडरिया पार्श्वनाथजी) मिले है। पद्मासन के साथ छोटी प्रतिमा है। इस प्रतिमा के लिए गाँव के लोगो और जैनों के बीच विवाद होने पर गाडी में प्रभुजी को बिठाकर बेल जिस तरफ जाए उस तरफ जाने देना नक्की किया गया। पाटण से गाडी मांडल में आकर खड़ी हुई और मांडल में प्रभुजी विराजमान हुए। ऐसा कहा जाता है। एक ही
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-9
१५. मांडल
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
संघवी फली में मंदिर है । १९९२ फागुन सुदी ५ को प्रतिष्ठा हुई है। ७५ वर्ष पूर्व दूसरा जीर्णोद्धार हुआ था।
जैन सोसायटी के श्री संभवनाथजी मंदिर की प्रतिष्ठा २०३७ माघ सुदी
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१३ को पू. आ. विजय मानतुंग सूरिजी म. की निश्रा में हुई है।
नूतन चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा २०४० पौष वद २ को पू. आ. श्री विजय राजेन्द्र सूरिजी म. की निश्रा में हुई है।
स्टेशन ऊपर श्री संभवनाथ जी मंदिर की प्रतिष्ठा पू. आ. हेमचन्द्र सू. म. की निश्रा में हुई है। यहाँ पर धर्मशाला है।
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कंपाउन्ड में तीन मंदिर है। आखिरी जीर्णोद्धार वि. सं. २०४० में हुआ है। कुल पांच मंदिर है।
वस्तुपाल तेजपाल की जन्मभूमि है। यहाँ श्री रामचन्द्रजी सीता की खोज में आए थे ऐसा कहा जाता है। यहाँ के मंदिर में प्राचीन ताडपत्रीय जैन ज्ञान भंडार की जेरोक्ष नकले है।
जैनो के १६० घर है। शंखेश्वरजी वीरमगाम रोड पर है। शंखेश्वर तथा • उपरीयालाजी तीर्थ पास में है।