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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
४. बावला
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बावला जैन मंदिर
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मूलनायक श्री आदीश्वरजी
मूलनायक जी - श्री ऋषभदेव भगवान मध्य में ऋषभदेव भगवान दायी ओर श्री नेमिनाथ भगवान बायी और श्री पार्श्वनाथ भगवान इस प्रकार त्रिशिखरी तीन शिखरों से युक्त मंदिर है।
वि. सं. १९६४ वै. सु. १० को प्रभुजी को प्रतिष्ठित किया है, बविला जैन संघ ने यह मंदिर बनवाया है।
जैनों के ८० घर है। उपाश्रय है। आयंबिल शाला है। अहमदाबाद हाईवे पर है।
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दादा-दादा आदि प्रभुजी, शत्रुजय शणगार, तुम चरणों थी तीरथ पावन, तीर्थ करे उद्धार, भव तारक मे तीरथ सांचु, भवताप हरनार । दादा....१ तारक तीर्थ माहे भमता, भव मां भमे न लगार, यात्रु चरण कज रज फरसता, कर्मरज दूर करनार। दादा....२ तीर्थ पतिनी लक्ष्मी ते पामे, तीर्थपति पूजनार, सात क्षेत्र मां निज धन वौवे, अनंत धन लेनार। दादा.:..३ तीर्थ यात्रा विधिए करता, उतरीये भवपार, तीरथनी आशातना करतां, डुबीए आ संसार। दादा....४ मनोहर मूर्ति प्रभुजी तुमारी, दुःख दोहग हरनार, दर्शन पीयूष पान करीने, तृप्त थयो न लगार। दादा....५ भवो-भव प्रभु तुम चरणों नी सेवा, मले जो शिवसुख सार, गुरु कर्पूर सूरि अमृत विनवे, कर जोडी आ वार। दादा....६