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३४. नंदासण तीर्थ
南安
行业
કંપની કાવ્ય કામગ
मूलनायक जी श्री मनमोहन पार्श्वनाथजी
तारो तारो पारसनाथ तारो, तमारा गुण नहिं भुलूं, तबलता उगार्यो नाग कालो - तमारी बात शुं बोलुं (साखी) कमठ पंच अनि तपे, बाल तपस्वीराज, नाग बले छे काष्ठ माँ जुओ अवधि ज्ञाने जिनराजरे, काष्ठ चिरावी काढियो, संभलाव्यों नवकार ।
तमारी १
धरणेन्द्र आसन चल्युं आव्यो प्रभुनी पास, नाग रूप करी उंचक्या, शिर छत्र फणा आकाशरेथाक्यों कमठासुर हवे, नम्यों प्रभुना पाय, चन्द्र कहे गुणपासना, जैन शालाना भाईयों गाय रे
तमारी. २
धरण इन्द्र पद पामियो ऐवो मोटो प्रभुनो उपकार रे
जोगभोग की बातही समझाचे शुभ पेर
पण शीखामण थी वस्यु कमठ बावानी आँख माँ झेर रे तमारी. ४
कमठ मेघमाली धयो प्रभु काउसग्गमाँ धीर,
जल बरसावे जोरमाँ आवे नाके अड्या छे नीर रे,
तमारी. ३
तमारी. ५
तमारी. ६
तमारी. ७
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१
मूलनायक जी श्री मनमोहन पार्श्वनाथजी जयत्रिभुवन नंदारण जिनालय पेढ़ी
यहाँ पर प्राचीन जिनालय था। जिसके खंडहर गाँव में है। वर्तमान में प्रतिमाजी एक हॉल में रखी थी। यह प्रतिमाजी बहुत प्राचीन है और गाँव में खण्डहर हुए मंदिर में से लायी गयी है। ७०० वर्ष प्राचीन है। पाँच जिनबिम्ब है। गाँव में से जैन एवं हिन्दु वसती दूसरी जगह चली गयी। अब हाईवे पर अष्टकोणी शिखर बन्द भव्य जिनालय बना है। वि. सं. २०४३ में माघ सुदी ११ को खात मुहूर्त हुआ है। पू. आ. श्री विजयराजेन्द्र सूरि जी म. के उपदेश से कार्य चलता है। बि. सं. २०५१ में अष्टकोणी शिखरबन्द भव्य जिनालय में प्रतिष्ठा हुई है।
धर्मशाला, भोजनशाला, वि. है। मेहसाणा से ३० कि.मी. हाईवे पर है।
ॐ
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