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________________ १८४) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ ६. मोढेरा मोढेरा जैन मंदिर JITORI मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी यहाँ का सूर्य मंदिर भारतीय शिल्पकला के लिए प्रख्यात है। मेहसाणा से यहाँ आने के लिए बस जीपें मिलती हैं। बहुचराजी से १३ कि.मी. है। यहाँ मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी श्वेत पद्मासनस्थ सुन्दर प्रतिमाजी है। दो मंजिल का मंदिर वि. सं. १९७५ जे. सु. ३ को प्रतिष्ठा । यह प्राचीन तीर्थ स्थल ९ वीं सदी का माना जाता है। श्री बप्पभट्ट सूरिजी ने वि. सं. ८०७ में श्री सिद्ध सेन सूरिजी के पास यहाँ पर दीक्षा ली थी। श्री बप्पभट्ट सूरिजी विद्या से यहाँ हमेशा दर्शन करने आते थे। Ge ७. महेसाणा - सीमंधर स्वामी तीर्थ १४५ ईंच विराटकाय, १२ फुट ऊँची, श्वेत पद्मासनस्थ प्रतिमाजी है। हाईवे पर होने से यह भव्य विशाल मंदिर खूब शोभायमान लगता है। पू. आ. देव श्री कैलाशसागर सूरिजी म. के उपदेश से यह मंदिर बना है। श्री सीमन्धर स्वामी के तीर्थ रूप में प्रख्यात हुआ है। प्रतिष्ठा २०२८ वै. सु. ६ को हुई है। धर्मशालाओं, भोजनशाला की सुविधा है। मंदिरजी का विशाल चौगान है। गुम्मट की कला सुन्दर है। इसके उपरान्त तेरह मंदिर गाँव में है। जिसमें प्राचीन मंदिर श्री मनमोहन पार्श्वनाथ का (दो मंजिल का) है। ____ इस प्राचीन मंदिर का स्तम्भ कला का काम तथा गुम्मट की कारीगरी अद्भुत है। महो. यशोविजयजी संस्कृत जैन पाठशाला है। जैन श्रावकों के घर २०० हैं। ___ महेसाणा - रेल्वे-बस मार्ग से हर एक स्थान से आ सकते हैं। अहमदाबाद दिल्ली नेशनल हाईवे ऊपर मंदिर है।
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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