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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ SSSSSSSSSSSSOOR
१. सुरेन्द्रनगर
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मुख्य बाजार श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर
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मूलनायक श्री अमझीरा वासुपूज्य स्वामी ई. संवत १९४२ में यह शिखरबन्द मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
संवत १९४६ में श्रा.व.१ पू. मुनि श्री थोभण विजयजी के वरद हस्त से प्रतिष्ठा हुई। संघ की आबादी समृद्धि बढ़ती गई ।संवत २००६ में २३ देव कुलिकायें वगैरह बनी हैं। इस भवन की ८८ वी वर्षगाठ के दिन निरन्तर ६ घन्टे तक संवत २०३४ में श्रा.व. १ को अमृत झरता रहा। जिन मंदिर के शिखर, घूमटो, दीवालें, गर्भगृह और जिन प्रतिमाओं को अंगों ऊपर से अमृत झरता था। जिसको हजारों भक्तों ने आँखों से निहारा था। केशर वर्षा भी हुई थी। उस दिन से अमझीरा (अमृत की वर्षा करने वाले) वासुपूज्य कहलाते हैं।
वंदू श्री वासुपूज्य नंदन! भला भावे सदा प्रेम थी, माता पूज्य जया तणा तनय! हे स्वामी नमुनेमथी, तार्या देव तमे घणा ज भवी ने, केवा खरा धर्म थी, चंपा नायक वासुपूज्य जिनजी आपो मने भव्य श्री।
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी बारे