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________________ १०४) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ 柬噢噢噢噢噢噢噢噢噢噢噢噢噢柬喚來來來來來源 व्यवस्था - जामनगर श्री विमलनाथ जैन मंदिर पेढ़ी के द्वारा होती है। मोड पर स्टेशन से १ किलोमीटर है। समीप में दलतुंगी तथा रंगपुर में सुन्दर मंदिर है। लखीया मंदिर समीप में है। मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी ४०० वर्ष पूर्व का मंदिर हैं। जीर्णोद्धार - अचल गच्छ मुनिराज श्री गौतम सागर म. सा. के सदुपदेश से शाह वर्धमान अमरसिंह सेठ ने इस जिनालय में सुमतिनाथ प्रभु की प्रतिमा वि. सं. १९९२ में वै. सु. ७ को विराजित करके जीर्णोद्धार करवाया हैं। २०३६ में पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सू. म. के उपदेश से डबासंग जैन संघ ने जीर्णोद्धार का लाभ लिया हैं। २७. पडाणा JOICE aacpepe24 पडाणा जैन मंदिर मूलनायक श्री संभवनाथजी मूलनायक श्री संभवनाथजी हालार में सर्वप्रथम अंजनशलाका यहाँ पर हुई उसके साथ ही प्रतिष्ठा हुई, प्रतिष्ठा वि. सं. २०१३ जेठ सुद ३ को पू. आ. श्री अमृतसूरिजी म. तथा पू. आ. श्री विजय भुवन सूरिजी म. की निश्रा में हुई है। हाईवे रोड़ से २ कि.मी. अंदर है। गाँव तक सड़क है। पास में ही रासंगपर नवागाम वि. मंदिर है। महाजन वाडी की व्यवस्था है। अद्य मे सफलं-जन्म अद्य मे सफला क्रिया, शुभोदयो दिनोऽस्माकं जिनेन्द्र तव दर्शनात् । पाताले यानि बिंबानि यानि बिंबानि भूतले, स्वर्गेपि यानि बिंबानि तानि वंदे निरन्तरम्। . सरस शान्ति सुधारस सागर, शुचितरं गुणरत्न महागर, भविक पंकज बोध दिवाकर प्रतिदिनं प्रणमामि जिनेश्वरं। DDDDDDDDDDDDDDDDDEOS
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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