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________________ ८४) DDDDDDDDDDDDDDD मूलनायक श्री ऋषभदेवजी प्रतिष्ठा वि. सं. २००० वै. सु. ६ को पू. आ. श्री विजय रामचन्द्र सूरिजी म. की निश्रा में हुई है। 100 1919મx41 કર્યું છે welder मूलनायक श्री अनन्तनाथजी जामनगर के उमेद कालीदास जी के स्मरणार्थ उनकी पत्नि हेमकोर बन ने बनवाया है। जो अभी दीक्षित साध्वी जी हैं। पू. आ. श्री विजयदान सूरिजी म. की प्रतिमा वाली गुरु की देरी हैं। धर्मशाला उपाश्रय हैं। ४. जामवंथली श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ ५. ध्रोल जामवंथली जैन मंदिर मूलनायक श्री अनन्तनाथजी प्रतिष्ठा वि. सं. १९४९ माघ सुदि ६ वि. सं. २०१९ जीर्णोद्धार पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र म. की निश्रा में हुआ। मूलनायक के सिवाय प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय विनयचन्द्र सू. म. की निश्रा में हुई है। मूलनायकजी श्री शान्तिनाथजी जामनगर बसने के पूर्व पहले का शिखरबन्द मंदिर है। वि. सं. १५५० में प्रतिष्ठा हुई थी। अन्तिम जीर्णोद्धार वि. सं. २०४१ वै. सु. ३ पू. हालार • केसरी आ. श्री वि. जिनेन्द्र सूरिजी म. के उपदेश मार्गदर्शन अनुसार हुआ। धर्मशाला एवं उपाश्रय हैं। DDDDDDDDDDDDDDE
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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