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ईस कार्य के लिये फोटा वि. वास्ते गये हुए प्रतिनिधि मंडलोने और फोटोग्राफर ने आत्मीय भाव से कार्य किया है वह इस कार्य की भूमिका बनी है। उनका हम ऋणी है।
मुद्रणका कार्य के लिए राजकोट गेलेक्सी प्रिन्टर्सवाले भरतभाई महेता एवं महेन्द्रभाई मोदीने पुरे परिश्रम और दिलचस्पीसे कार्य किया है इससे ये अच्छा प्रकासन बन सका है और इसमें भी पू. आचार्यदेवश्री का अनुभव एवं मार्गदर्शन के कारण ही सुंदरता ओर सौष्ठवता आयी है।
हमारी संस्थाने चित्र प्रकाशन में अच्छा प्रयल किया है । उसमें नारकी चित्रावली (गुजराती-हिन्दी-अंग्रेजी) सत्कर्म चित्रावली (गुजराती-हिन्दी-अंग्रेजी) कल्पसूत्र चित्रावली, सचित्र बारसो सूत्र (बालबोध एवं गुजराती लिपिमें) है।
यह श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन हमारे चित्र प्रकाशन में श्रेष्ठ है । यह हिन्दी आवृत्ति प्रगट हो रही है. ऐसे प्रकाशन को प्रगट करना वह हमारी संस्थाका बडा सौभाग्य है।
इसकी दूसरे भागकी हीन्दी आवृत्ति एवं दोनो भागकी अंग्रेजी आवृत्ति प्रगट करने का प्रयत्न सुचारू रूप से जारी हैं।
यह पवित्र ग्रन्थ का दर्शन एवं पढन करते समय खाना पीना, जूठा मों से पढना, और धुम्रपान करना या अनादर नहीं करना । पूर्ण भक्ति और पूज्य भाव साथ तीर्थो प्रति बहुमान रखके पढना । जिनेश्वर देवो की आज्ञाका आलंबन ही मोक्ष कारण है ।
हम अभिलाषा- व्यक्त करते हैं कि इस ग्रन्थके दर्शन में सभी लोक आत्माको निर्मल बनाये और जिनेश्वर देवोने बताये धर्म मार्ग पे चल के शीघ्र ही शिवसुखको पावे ।
शुभ भवतु
ता. २९-१२-० श्रुतज्ञान भवन, ४५, दिग्विजय प्लोट, जामनगर-३६१००५. (गुजरात)
संस्था के व्यवस्थापक प्रतिनिधि महेता मगनलाल चत्रभुज शाह कानजी हीरजी मोदी शाह देवचंद पदमशी गुढका