SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जेत्तियमित्ते सक्को, जे वण्णाइनिमित्तं एत्तो जेत्तियमित्ते सक्को, (ज.पा.) ५ जे पावकारीणि परिग्गहाणि (उ.स.) ४६ जे भंजिऊण तव मुग्गरेणं, (आ.प्र.) ३६ जे थूलभद्दपमुहा साहुअ (वै.कु.) २० जे पावफलाजोगा, जे (उ.चि.) २१४ जे भवणवई देवा (ति.गा) ४४३ जे दंतसोहणं पि हु . (न.प्र.) ४७ जे पावभरक्कंते, निवडंते (न.प.) ४५ जे भवियकमलपडिबोहण- (आरा.५)२१ जे दंसण नाण चरित्त, (न.प.) ५७ जे पावेविणु जिण वयण, (बा.बो.) १०३ जे भावणाए कुलयं (भा.कु.२) २२ जे दंसणवावण्णा, लिंगग्ग- (गाथा.) ५१३ जे पुग्गला अणिट्ठा, (जी.सं.)८० जे भावा जहियं पुण, (गु.त.) २।३६ जे दंसणवावण्णा, लिंगग्ग- (त्रै.दी.) २५३ जे पुग्गला य इट्ठा, (जी.सं.) १९४ जे भावा तत्तो वि हु, जे दंसणवावन्ना लिंगग्गहणं (पंच.) १०३९ जे पुज्जा भगवंतो तित्थयरा (धूमा.) ३ जे भूय-भविस्स-भवंति (वीर.) १८ जे दंसणेण भट्ठा नाणे भट्ठा (आ.अ.)७२ जे पुढवाइपमाणा (अं.स.) १३ जे मज्झत्था धम्म-त्थिणो (दं.प.) २६८ जे दक्खिणेण इंदा, (दे.प्र) २११ जे पुण अणत्थदंडं न (न.प्र.) ८७ जे मज्झ मंस मज्झे, (च.क्ष.) १६ जे दक्खिणेण इंदा, (बृ.सं.) १०३ जे पुण अलद्धगुरुणो (गु.श.) ४३ जेमणयं दाहिणए अंगे, (दे.ना.) ३३४ जे दव्वभावगाहगसुद्धं (क.को.)८ जे पुण आगमविहिणा, (स.शा.) ६६ जे मन्ने वि जिणंदं (षष्ठि.) १४९ जे दाहिणेण इंदा, (त्रै.दी.) १८० जे पुण इयविवरीया, पल्लव- (स.स.) ६९ जे माणदुद्धरमणा कस्स (दा.मा.) १४ जे दिणु मिल्लिवि मूढ़- (बा.बो.) २६ जे पुण एय पमाणं (अं.स.) ५ जे माय ताय बंधव, (न.प.) ४६ जे दुचरमंमि समये, (न.प.) ३१ जे पुण एयपमाणा ऊणा (प्र.सा.) १३९५ जे मिउ सच्चं जंपंति (न.प्र.) ३४ जे दुज्जण-दुव्वयणं, (सु.गु.) ७१ जे पुण एयविउत्ता सग्गहजुत्ता (पंचा.) ५९४ जे मुणिय सुत्त सारा, (न.प.) ४३ ज़े दूसमावसेण वि पायं (र.कु.) १५ जे पुणऽकयपणिहाणा (श्रा.प्र.) ३७१ जे मुद्धजणं परिवंचयंति, (पु.मा.) ३०४ जे देसविरइजुत्ता जम्हा (वि.वि) ३१८ जे पुण करंति विरइं (न.प्र.) ४२ जे मुद्धजणं परिवंचयंति (आरा.१)६६१ जे धम्मज्झायगा उ एएच्चिय (श.भा.) १७९ जे पुण गच्छायारं, (स.शा.) १९ जे मे जाणंति जिणा, (श्रा.दि.)२९९ जे धम्मिया ते खलु सेविय- (गो.कु) १४ जे पुण गुणेहिं हीणा (य.स.) २०४ जे मे जाणंति जिणा (आरा.१)२०७ जे न खमंति परीसह- (उ.चि.) ६८ जे पुण छज्जीववहं (आरा.१)५९९ जे मे जाणंति जिणा (चं.प.) १३२ जे नरसुरवरभोगा, जे (उ.चि.) २५ जे पुण जम्मदरिद्दा दुहिया (जी.प्र.) ४० जे मे जाणंति जिणा (आउ.२)३१ जे न वि रुहंति इहई (आरा.५)२ जे पुण जिणोवइढे (चं.प.) २९ जे मे जाणंति जिणा (र.सं.) ५२८ जे नहु चल्लिय ते गया, (ज्ञा.कु.) ९५ जे पुण तप्परिहीणा जाया (पंच.) ९२ जे मे जाणंति जिणा (वि.सा.)८५८ जे नाणा मुद्दाइं सिरि (द्र.प.) २ जे पुण थेवत्तणओ एएसुं (उ.प.) ९१५ जे मे जाणंति जिणा (आ.प्र.)३ जे नामंति न सीसं, कस्स (शी.उ.) १६ जे पुण पढंति सुत्तं (गु.श.) ९१ जे मे जाणंति जिणा (क्षप.) १ जे निच्चमप्पमत्ता, (प्र.कु.२)११ जे पुण पुव्वाइण्णं, (स.शा.) १२ जे य अकिण्ह अनीला (आरा.५)१४ जे निच्चमप्पमत्ता, गंठि (गाथा.) ३०७ जे पुण मिच्छदिट्ठी, (स.शा.) २५६ जे य अगुरुय अलहुए (आरा.५)१६ जे निच्चमप्पमत्ता, विगह- (न.प.) ४१ जे पुण वहविरइजुया उभओ (न.प्र.) २५ जेय अणंत मणुत्तर, (न.प.) ३८ जे नियमवेयणिज्जस्स (श्रा.प्र.) १०० जे पुण विरयाविरय-प्पभि- (श.भा.) ११९ जेय अणंता अपुण,-ब्भवाय (न.प.) ३५ जे निसि-भोयणि रइ . (बा.बो.) २७ जे पुण सड्ढाण च्चिय (गु.श.) ४० जे य अतित्त अकडुया (आरा.५)१५ जे नो करंति मणसा, (अ.सी.)१ जे पुण सम्मदिट्ठी, (स.शा.) २५७ जे य अरूव अगंधा अरस (आरा.५)१३ जे नो करिति मणसा (वि.सा.)३५९ जे पुणो जिणदव्वं तु, (श्रा.दि.) १३७ जे य उवंगाई तहा (आरा.५)३५ जे पंच भेअनाणस्स, (आ.प्र.) ७ जे पेच्छसि आगासे (आरा.३)२०८ जे रंक ढिंक पमुहा (आ.अ.)५३ जे पंचविहायारं, आयरमाणा (न.प.) ३९ जे पोसहं तु काउं चइया (न.प्र.) ११३ जे रज्जधणाईणं कारणभूया (षष्ठि.) ११९ जे पंचसमिइसमिया, (आ.प्र.) ४१ जे बंभचेरभट्ठा, (गु.त.) ३।१२२ जे रयणिहिं दियहि वि (बा.बो.) २५ जे पंचिंदिय वहु (बा.बो.) ८७ जे बंभचेरभट्ठा पाए (सं.प्र.) ३९० जे रसणि[इं] दिय (बा.बो.) ४४ जे पच्चक्खा एए, लोगस्स (चे.म.) ६३० जे बंभचेरभट्ठा पाए (र.सं.) १०७ जे रायकुमर तुल्ला, (न.प.) ५६ जे पडिआरविरहिआ (पंच.) ८७२ जे बंभचेरभट्ठा, पाए (सं.सि) ११ जे लक्खणे ण सिद्धा न (दे.ना.) ३ जे पत्ता ते अंसि गुणिज्जहि- (गणि.) २६२ जे बंभचेरस्स वयस्स भट्ठा, (दं.प.) १९१ जे लिंबपत्तमित्ता, वाऊकाए- (सं.सि) ९७ जे पत्ता लीलाए कसायमय- (भ.भा.) ४६२ जे बंभवयपहाणा पुरिसा (ध.उ.२)९ जे लोइयकज्जरया धणट्ठिणो (सं.प्र.) ४३३ जे परघरपेसत्तं गया (दा.मा.) ७४ जे बद्धाउचउक्का ते रोविअ (स.उ.) २८ जे लोगुत्तमलिंगा,लिंगिय (मि.स्था.) ३१ जे परिणामविसेसा तेसिं (श.भा.) १०६८ जे बहुलद्धिसमिद्धा, साइ- (न.प.) ४७ जे वंदंति जिणिदं (क.को.)५ जे पवयणं भणित्ता गिहि- (सं.प्र.) ४२७ जे बारसंग सज्झाय, (न.प.) ४८ जे वंदणाइ अरहंति (आरा.५)३ जं पाई दम्मक्किहि भवंति (गणि.) २९६ जे बुद्धा उवउत्ता, (स.शा.) १४२ जेवण्णाइनिमित्तं एत्तो (पंच.) ३६९ ૧૩
SR No.002422
Book TitlePrakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages446
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy