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________________ जह कोइ सट्ठिवरिसो जह णाम महुरसलिलं, जह कोइ सट्ठिवरिसो (स.सू.) ९४ जह चेव अपच्चक्खो आया (ध.सं.) १२०३ जह जह बहुस्सुओ संमओ (य.स.) ७२ जह कोई मग्गन्नू, (गु.त.) २।२६३ जह चेव असुहपरिणामओ (पंच.) ८९४ जह जह बहुस्सुओ सम्मओ (पंच.) ९४७ जह खंतिखग्गजुत्ता पंचिं- (क्षान्ति) २७ जह चेव उ मोक्खफला (पंच.) ११९ जह जह बहुस्सुओ सम्मओ (उव.) ३२३ जह खग्गसरिसवाणं अणुम्मि (ध.सं.) २०७ जह चेव उ विहिरहिया (पंच.) ५९४ जह जह य अप्पपगईण (पं.सं.) २८७ जह खज्जोओ पज्जोयणाउ (उ.अ.) १३ । जह चेव कुट्ठिणोऽपत्थवत्थु- (ध.सं.) ९७४ जह जह लग्गइ तावं तह (धातू.) २५ जह खलु दिवसऽब्भत्थं (यो.श.) ९४ जह चेव चंदउत्तस्स विब्भमो (उ.प.) १९६ जह जह लहेइ रिद्धि तह (उ.चि.) १२६ जह खलु दिवसऽब्भत्थं (आरा.२)९८१ जह चेव चारुदत्तो गोट्ठी- (आरा.२)६२८ जहजह वंचइ लोयं माइल्लो (भ.भा.) ४३६ जह खलु महापमाणो (ध.सं.) ३८८ जह चेव दव्वसंखा, भणिया (ज.पा.) २०१ जह जह वच्चति कालो (ति.गा) ८९३ जह खलु सुद्धो भावो (उ.प.) ७८६ जह चेव दोसकहणं न (वि.वि) २६९ जह जह वड्डइ कालो (ति.गा) ९९५ जह खाराईहितो असई (पंच.) १०४३ जह चेव मंत-रयणाइएहिं (यो.श.) ६३जह जह वड्डइ कालो (ति.गा) ११५७ जह खित्तणगाईणं संठाणो (ल.क्षे.) २४३ जह चेव य अभिघाते, (ज.पा.) २१८ जह जह वड्ढइ विहवो, (पु.मा.) ३१२ जह खीरं सुरसाणं (न.मा.) १४ जह चेव सदेसम्मी तह (उ.प.) ६६८ जह जह वड्ढइ विहवो (आरा.१)६६५ जह खीरोअहि जलहिम्मि (न.मा.) १९ जह चेव सरनिवेसो, भणिओ (ज.पा.) २५५ जह जह वड्डति कालो (ति.गा) १०१४ जह गंधहत्थिगंध, असहंता (चे.म.) ३१२ जह चेव सरवसेसो जह जह वड्डति कालो (ति.गा) ११६२ जहगहिअपालणम्मी (पंच.) ५१३ जह चेवोवटुंती सुज्झइ (उ.प.) ७९३ जह जह वड्डति कालो (ति.गा) ११६७ जहगहियपालणेणं अपमाओ (प्रत्या.) २२४ जह चेवोवहयणयणो सम्मं (उ.प.) ४४१ जह जह वड्डति कालो (ति.गा) ११७१ जह गारुडिओ गरुडं, (चे.म.) ७०९ जह छउमत्थस्स मणो, (ध्या.श.)८४ जह जह वेरग्गमणो (सा.प.) ८० जह गिरिवराण मेरू जह छउमत्थस्स मणो झाणं (सं.प्र.) १३९८ जह जह सव्वुवलद्धं, जह (उव.) ४८७ जह गुडदहीणि विसमाइ- (ष.भा.)४ जह जंबूपायवेगो (सं.प्र.) १२८३ जह जह सुअमवगाहइ (पंच.) ५६० जह गुडदहीणि विसमाणि (श.भा.) ८५ जह जण्णजणगभावो (प.वि.) ६ जह जह सुअमवगाहइ (य.च.) १३२ जह गुरुअसुहविवागं, (गु.त.) १७४ जह जम्मकम्मनाल- (सं.प्र.) १५४५ जह जह सुयमवगाहइ (आरा.२)८३ जह गेहं पइदिवसं सोहियं (पा.स.) ४१ जह जलमवगाहन्तो भण्णइ (अ.प.) २८ जह जह सुयमोगाहइ (आरा.१)५९२ जह गेहम्मि पलित्ते, (वै.श.) ३५ जह जलसित्ता रुक्खा (प्र.प.) १४८ जह जाइपच्चयाओ, मच्छा- (चे.म.) ७६१ जह गेहम्मि पलित्ते, (आ.बो) १९ जह जलहि वाउजोगे (ज्ञा.क.) ४७ जह जामाइअपमुहा (प्र.प.) १६१ जह गोअमाइआणं, (गु.त.) ११५ जह जह अन्नाणवसा, धण- (आ.कु.) १९ जह जिअपरीसहा खलु (प्र.प.) ६५३ जहघरघट्टचिंता - मणीण (दे.श.) ७४ जह जह अप्पो लोहो जह (सं.प्र.) ११७८ जह जिणमय जिणपडिमा (स.श.) ११८ जह चंडकोसिओ खलु (न.प्र.) ६९ जह जह एही कालो (ति.गा) ७९७ जह जिणवरिहिं अणंतगुण (ज्ञा.कु.) २२ जह चंदो तह साहू (ज्ञा.क.) ३९ जह जह कसायविगमो, (य.शि.) १९ जह जीवाणन्नाणं णाणत्तं (वि.ण.) १७१ जह चक्कवट्टिरज्जं लभृणं (वि.वि) २२२ जह जह कीरइ संगो, (उव.) ११६ जह जुगवुप्पत्तीइ वि (वि.ण.) २१४ जह चक्कवट्टिसाहू सामाइअ- (उव.) ५८ जह जह खमइ सरीरं, (उव.) ३४३ जह जुगवुप्पत्तीए वि सुत्ते (ध.सं.) १३५० जह चक्किचम्मसाली तक्कालं (उप.) २१४४ जह जह जिज्झइ हियडुलं, (प्रा.सं.) ५८ जहजुग्गं कुमरनिवइ- (सप्त.) २९८ जह चणिक्को मंती (न.मा.) २।४३ जह जह जिणिंदवयणं सम्मं (षष्ठि.) ६६ जह जोइसिओ कालं सम्मं (उ.प.) ७७५ जह चयइ चक्कवट्टी, पवित्थरं (उव.) १७३ जह जह झिज्जइ कालो (ति.गा) ८७८ जहजोगं कायव्वा भंगा (सं.प्र.) १५९० जह चाउमासिआई (प्र.प.) ५२५ जह जह णि ज्झाइ मुणी (धूर्ता.) ४८ जह जो सुहं करेई एगंतेणेव (ध.सं.) ९०६ जह चास १ कुंच २ महुअर (उप.) १।१३ जह जह तुट्टइ धम्मो जह (षष्ठि.) ४२ जहट्ठियवत्थुनिरिक्खण, परमं (विवे.) ३ जह चिंतामणिरयणं, सुलहं (वै.श.) ९५ जह जह तेसि इंदिय - (उ.चि.) ४१ जह ठितिणिबंधणेसु (उ.प.) ९१८ जह चिंतामणिरयणं सुलह (ध.र.) ३ जह जह दढप्पइन्नो वेरग्ग- (भ.भा.) ४५२ जहठियखित्त न जाणइ, (उव.) ४०२ जह चिंतिय १ सपरग्गह २ (सं.प्र.) ७८७ जह जह दोसा विरमइ, (इ.प.) ९६ जहठियगुणलक्खा जे (ज्ञा.कु.) ११४ जह चित्तयरो निउणो, (क.प्रा.१) ६७ जह जह दोसोवरमो, (ति.गा) १२०३ जहठिय जिणवरआण बुहु, (ज्ञा.कु.) २४ जह चित्तसहु व्व पवयण- (न.मा.) ४.१७ जहजह दोसोवरमो जह (भ.भा.) ४४९ जहठियदव्व न याणइ, (उव.) ४०१ जह चित्ती नरचित्तं (प.द.) ३८ जह जह पएसिणी जाणु- (गाथा.) ७३९ जहणत्थवत्थभेदे घग्घरं, (दे.ना.) २८१ जह चिरसंचियमिंधण- (ध्या.श.)१०१ जह जह बहुस्सुओ (गु.त.) २१७६ जह णरवइ तह भव्वों (न.मा.) ४.१५ जह चिरसंचियमिंधणमनलो (सं.प्र.) १४१५ जह जह बहुस्सुओ (स.सू.) १६३ जह णाम कोइ पुरिसो (अ.प.) १७७ जह चेइअसद्देणं णाणं (प्र.प.) ६९ जह जह बहुस्सुओ संमओ (उ.र.) १५३ जह णाम महुरसलिलं, (गु.त.) ३१३० ૧૪૯
SR No.002422
Book TitlePrakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages446
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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