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[८३] मनुष्य--मूळभाव ५. उत्तर भेद--उपशम भावे सम्यक्त्व अने चारित्र ए २. क्षायिक
भावे सम्यक्त्व अने चारित्र ए २, केवल ज्ञान १, केवल दर्शन १, दानादि लब्धि ५, ए ९. क्षयोपशम भावे ज्ञान ४, अज्ञान ३, दर्शन ३, दानादि लब्धि ५. विरति द्विक २, सम्यक्त्व १, ए १८. औदयिक भावे गति ३
विना १८. पारिणामिक भावे पूर्व प्रमाणे ३. एवं ५० भाव. तिर्यंच--मूळ भाव ५. उत्तर भेद-उपशम भावे सम्यक्त्व १, क्षायिक भावे सम्यक्त्व
१, क्षयोपशम भावे मनःपर्यव ज्ञान १, सर्व विरति १, ए २ विना १६.
औदयिक भावे गति ३ विना १८. पारिणामिक भावे पूर्ववत् ३. एवं ३९. एकेंद्रिय, पृथ्वी, अस्, वनस्पति--मूळ भाव ३. उत्तर भेद-उपशम अने क्षायिक
भाव न होय. क्षयोपशम भावे दानादि लब्धि ५, उपयोग ३, ए ८. औदयिक भावे गति ३, पद्म लेश्या अने शुक्ल लेश्या ए २, वेद २, ए ७ विना
. १४. पारिणामिक भावे पूर्ववत् ३. कुल २५ भाव होय. २ द्वींद्रिय, त्रींद्रिय, तेज, वायु--मूळभाव ३. उपशम अने क्षायिक विना. उत्तरभेद
क्षयोपशम भावे एकेंद्रिय प्रमाणे ८. औदयिक भावे गति ३, वेद २, छेल्ला
लेश्या ३, ए ८ विना १३. पारिणामिक भावे उपर प्रमाणे ३. कुल २४. ३ चतुरिंद्रिय-द्वींद्रिय प्रमाणे. पण चक्षु दर्शन सहित २५ भाव कहेवा. १० पंचेंद्रिय, त्रस, मनोयोग, वचनयोग, काययोग, संज्ञी, आहारी, ए ७ मार्गणाए
मूळ भाव ५ अने उत्तर भेद ५३ भाव होय. २७ बेद ३, क्रोध, मान, माया, लोभ, ए ७ मार्गणाए—मूळ भाव ५, उत्तर भेद-उप
शम भाव सम्यक्त्व अने चारित्र ए २. क्षायिक भावे सम्यक्त्व १. क्षयोपशम भावे १८. औदयिक भावे गति १, वेद २, ए ३ विना १८. तेमां कषायनी मार्गणाए क्रोधमां मान, माया अने लोभ विना कहेवू. मानमा क्रोध, माया अने लोभ विना कहेवू. तथा लोभमां क्रोध, मान अने माया विना कहेवू. एम ३ विना १८ भाव होय. पारिणामिक भावे ३. कुल ४२
भाव होय. ३१ मति, श्रुत, अवधि ज्ञान, अवधि दर्शन ए ४ मार्गणाए--मूळ भाव ५. उत्तर भेद
उपशम भावे सम्यक्त्व अने चारित्र २. क्षायिक भावे सम्यक्त्व अने चारित्र २.क्षयोपशम भावे अज्ञान ३ विना १५.औदयिक भावे अज्ञान १, मिथ्यात्व १, ए २ विना १९. पारिणामिक भावे अभव्य विना २. कुल ४०. भाव होय.