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________________ [४] ६५ बासठ मार्गणाए नामकर्मना बंध, उदय, सत्तास्थान अने सेना भंग संबंधी यंत्र... ....... २३८ ६६ चौद गुणत्त्थाने जीवस्थानादि संबंधी यंत्र जीवस्थान, योग, उपयोग, लेश्या, मूळ बंधहेतु, मिथ्यात्व, अविरति, कषाय ( १ थी ८); २४१ योग, उत्तर बंधहेतु, अल्पबहुत्व, मूळभाव, उपशम, क्षायिक, क्षयोपशम, मौदयिक,(९ थी १६) २४२ पारिणामिक, उत्तरभाव, सांनिपातिक मूळ, द्विकसंयोगी सातमो भंग, त्रिकसंयोगी नवमो भंग, त्रिकसंयोगी दशमो भंग, चतुःसयोगी चोथो भंग, चतुःसंयोगी पांचमो भंग, पंचसंयोगी एक भंग, सांनिपातिक उत्तरभेद ( १७ थी २७ ).... २४३ जीवायोनी, कुलकोटी, समुदघात, दंडक, ध्यानभेद, चारित्र, परिसह, समकित (२७ थी ३५) २४४ दृष्टि, आश्रव, संवर, निर्जरा, पुण्यबंध, पापबंध, आठ कर्म आश्री, बंध ने उदय (३७ थी ४४) :. उदीरणा, सत्ता, देवताना भेद, नारकीना भेद, मनुष्यना भेद, तिर्यचना भेद, जीवना भेद, ध्रुवबंधी, अधुवबंधी (४४ थी ५३) .... . . २४६ - ध्रुवोदयी, अध्रुवोदयी, ध्रुवसत्ता, अध्रुवसत्ता, परावर्त्तमान, अपरावर्त्तमान, (५४ थी ६०) २४७ • सर्वघाती, देशघाती, दर्शनावरणीना बंध उदय सत्तास्थान: मोहनीयना बंधस्थान ने उदय - स्थान, (६१ थी ६६) ................... . ......। २४८ भाहनीयना सत्तास्थान, नामकर्मना बंधस्थान, उदयस्थान, सत्तस्थान, आत्माना आठ प्रकार (६७ थी ७२) . ... २४९ मोहनी. कर्मनी उदय आश्री चोवीशी, नामकर्मना बंधना भांगा उदयना भांगा, वेदनीयना भंग, गोत्रना भंग, आयुना भंग. नामकर्मसत्ताना भंग, मोहनीना पद, योगसंबंधी उदय भंग, पदवर्ण (७३ थी ८२) , ... .... .......... २.० पयोगना उदयभंग, पदवर्ण, लेश्याना उदयभंग, पदवर्ण, योगनी चोवीशी, योगना पद उपयोगनी चोवीशी, उपयोगना पद, लेश्यानी चोवीशी, लेझ्याना पद (८४ थी ९४).. ६७ प्रथमना दश गुणटाणे योग, चोवीशी, गुणाकार, चोवीशीनो सरवाळो, चोवीशे गुणतां उदयभंग, पद, गुणाकार, कुल पद, चोवीशे गुणतां पदवृंद, उदय, उदय चोवीशी, पद कुल ( १३)... ६८ प्रथमना दश गुणस्थाने उपयोग चोवीशी, गुणाकार, उपयभंग पद, पदभंग, पदवृंद, लेश्या, चोवीशी, गुणाकार, उदयभंग, पद ने लेश्यानो गुणाकार, पदवृंद (१३) ६९ प्रथमना ११ गुणठाणे बंधत्थान, बंधना भांगा, उदयस्थान, उदयभंग चोवीशी, उदयना भांमा, उदयस्थानपद, पदवृंद (७) ७, मोहनी कर्मना बंधस्थान. बंधना भांगा, उदयस्थान, उदय चोवीशी, उदयभंग, उदयस्थानपद, उदयस्थानपदवृंद, मोहनीना सत्तास्थान (८) २५५ ७१ बालट मार्गणाए गति जाति विगैरना यंत्र गति, जाति, काय, योग, वेद, कषाय, ज्ञानाज्ञान, संयम, दर्शन, भव्याभव्य, सम्यक्त्व, २५६-५९ संजी, असंज्ञी, आहारी, अणाहारी, शरीर, पर्याप्ति, प्रण (१ थी १६) ध्यानभेद, संज्ञा, समुदधात, संस्थान, संघयण, दृष्टि, दंडक, जीवायोनी, कुळकोटी, अवगाहना, जीवस्थान गुणस्थान, योग, उपयोग, लेझ्या, अल्पबहुत्व (१७ थी ३३) २६०-६३ मूळ बंधहेतु, उत्तर बंधहेतु, मिथ्यात्व, अविरति, कषाय, योग, मूळभाव, उत्तरभाव, उपशम, क्षायिक, क्षायोपशमिक, औदयिक, पारिणामिक, सांनिपातिक, द्विकसंयोगो, त्रिक संयोगी, चतु:संयोगी, पंचसंयोगी, सांनिपातिक कुल, (३३ थी ५३)
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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