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________________ ४२ अविरति, चक्षु अने अचक्षुदर्शननी मार्गणाए २० नो बंध. ४३ अवधि दर्शन मार्गणाए अवधि ज्ञाननी पेठे १२. ४४ केवळ दर्शननी मार्गणाए .. ५२ कृष्ण, नील, कापोत, तेजो, पद्म अने शुक्ल ए छ लेश्या तथा भवी अने अभवी ए ८ मार्गणाए २० नो बंध. ५६ उपशम, क्षायक, क्षायोपशमिक अने मिश्रनी मार्गणाए मतिज्ञाननी पेठे ८ विना १२. ५७ सास्वादन मार्गगाए मिथ्यात्व विना १९ नो बंध. ६२ मिथ्यात्व, संज्ञी, असंज्ञी, आहारी अने अनाहारी मार्गणाए २० नो बंध. देश घाती प्रकृति बंध २५ नुं विवरण. २५ नरक गतिनी मार्गणाथी मांडीने पचीशमी लोभ मार्गणा सुधी २५ नो बंध होय. २९ मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान, अवधि ज्ञान अने मनःपर्यव ज्ञाननी मार्गणाए स्त्रीवेद १, . नपुंसक वेद १, ए २ विना २३. ३० केवळ ज्ञाननी मार्गणाए बंध .. ३३ मति, श्रुत अने विभंग अज्ञाननी मार्गणाए २५. ३६ सामायिक, छेदोपस्थापनीय अने परिहारविशुद्धिनी मार्गणाए स्त्रीवेद १, नपुंसकवेद १, ए २ विना २३. ३७ सूक्ष्मसंपराय मार्गणाए संज्वलन कषाय ४, नोकषाय ९, ए १३ विना १२. ३८ यथाख्यात चारित्र मार्गणाए .. ३९ देशविरति मार्गणाए स्त्रीवेद १, नपुंसक वेद १, ए २ विना २३. ४२ अविरति, चक्षु दर्शन अने अचक्षु दर्शननी मार्गणाए २५. ४३ अवधि दर्शननी मार्गणाए अवधिज्ञाननी पेठे २३. ४४ केवळ दर्शननी मार्गणाए .. ५२ कृष्ण, नील, कापोत, तेजो, पद्म, शुक्ल ए ६ लेश्या तथा भव्य अने अभव्य ए ८ मार्गणाए २५. ५६ उपशम, क्षायक, क्षायोपशमिक समकित अने मिश्रनी मार्गणाए स्त्रीवेद १, नपुं सक वेद १, ए वे विना २३. ५७ सास्वादन मार्गणाए नपुंसक वेद विना २४. ६२ मिथ्यात्व, संज्ञी, असंज्ञी, आहारी, अनाहारी मार्गणाए २५.
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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