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________________ [५८] अथ चौद गुणस्थानके मूल नाव तथा उत्तरजावन विवरण. १ मिथ्यात्व गुणस्थाने. मूलभाव ३. उत्तरभाव ३४–क्षायोपशमिकना १० (लब्धि ५, अज्ञान ३, दर्शन २), औदयि कना २१, तथा पारिणामिकना ३. सर्व मली ३४. २ सास्वादन गुणस्थाने. मूलभाव ६. उत्तरभाव ३२–क्षायोपशमिकना १० (लन्धि ५, अज्ञान ३, दर्शन २), औदयि कना २० (मिथ्यात्व विना), पारिणामिकना २ (अभव्य विना) सर्व मली ३२. ३ मिश्र गुणस्थाने. मूलभाव ३. उत्तरभाव ३३–क्षायोपशमिकना १२ (मिश्रज्ञान ३, दर्शन ३, लन्धि ५, मिश्र मोहनी १), औदयिकना १९ ( मिथ्यात्व तथा अज्ञानपणा विना), पारिणा मिकना २. सर्व मली ३३. ४ अविरति गुणस्थाने. मूलभाव ५-३-४- (सर्व जीव आश्रीने ५) पृथक् जीव आश्री ३ के ४. उत्तरभाव ३५-उपशम सम्यक्त्व १, क्षायिक सम्यक्त्व १. क्षायोपशमिकना १२ (ज्ञान ३, दर्शन ३, लब्धि ५, क्षायोपशम सम्यक्त्व १), औदयिकना १९ (मिथ्यात्व तथा अज्ञान विना), पारिणामिकना २. सर्व मली ३५, ३४, ३४, ३३. ५ देशविरति गुणस्थाने. मूलभाव ५-४-४-३. उत्तरभाव ३४–उपशम सम्यक्त्व १, क्षायिक सम्यक्त्व १, क्षायोपशमिकना १३ (ज्ञान ३, दर्शन ३, लब्धि ५, सम्यक्त्व १, देशविरति १), औदयिकना १७ (मिथ्यात्व, अज्ञान, देवगति अने नरकगति ए चार विना), पारिणामिकना २. सव मली ३३-३४-३३-३२. ६ प्रमत्त गुणस्थाने. मूलभाव ५-४-४-३. उत्तरभाव ३३–उपशम सम्यक्त्व १, क्षायिक सम्यक्त्व १, क्षायोपशमिकना १४ (अज्ञान ३, देशविरति १, ए चार विना) औदयिकना १५ (गति ३, मिथ्यात्व १, अज्ञान १, असंयम १, ए छ विना), पारिणामिकना २. सर्व मली ३३-३२ -३२-३१.
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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