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९९. अनंतानुबंधी क्रोध १, स्थावर १, जाति ३, आनुपूर्वी ३, ए ९ काढीने मिश्र मेळवतां मिश्रे ९१. अप्रत्याख्यानी क्रोध १, आनुपूर्वी ४, देवगति १, देवायु १, नरकगति १, नरकायु १, वैक्रिय द्विक २, दुर्भग १, अनादेय १, अयश १, ए १४ विना देश विरतिए ८१. तिर्यचगति १, तिर्यंचायु १, उद्योत १, नीचगोत्र १, प्रत्याख्यानी क्रोध १, ए ५ काढीने आहारक द्विक भळे त्यारे प्रमत्ते ७८. स्त्यानर्द्धि त्रिक ३, आहारकद्विक २, ए ५ विना अप्रमत्ते ७३. सम्यक्त्व मोहनी १, अंत्य संघयण ३, ए ४ विना अपूर्वे ६९.
हास्यादि ६ विना अनिवृत्तिए ६३. २३-२४-२५ मान, माया अने लोभ मार्गणाए-पण एज प्रमाणे उदय कहेवो, पोते
सिवाय अन्य कषाय १२ विना समजवो. लोभ मार्गणाए दशमे गुणस्थाने ३ " वेद टळे त्यारे ६०. २६-२७ मतिज्ञान अने श्रुतज्ञान मार्गणाए-गुणस्थान ९ चोथाथी बारमा सुधी.
स्थावर ४, जाति ४, आतप १, अनंतानुबंधी ४, जिननाम १, मिथ्यात्ष १, मिश्र १, ए १६ विना ओघे १०६. आहारक द्विक २ विना अविरतिए १०४.
देशविरतिथी ओघनी पेठे ८७-८१-७६-७२-६६-६०-५९-५७, २८ अवधिज्ञाननी मार्गणाए-पण उपर प्रमाणे जाणवू. विशेष एटलं के-तिर्यंचानुपूर्वी
विना ओधे १०५. तथा पन्नवणा सूत्रनी वृत्तिने अनुसारे अवधिज्ञानीने तिर्यचानुपूर्वी जणाय छे तेथी १०६. आहारक द्विक २ विना अविरतिए १०३. बाकी मतिज्ञानीनी पेठे जाग. अवधि के विभंग सहित तिर्यंचमां उपजे नहीं ते माटे ए लख्युं छे. ते वक्रगतिनी अपेक्षाए जाणवू. अने ऋजु गतिनी अपे
क्षाए तिर्यंचमां उपजे छे. ____२९ मनःपर्यवज्ञाननी मार्गणाए–प्रमत्तथी मांडीने गुणस्थान ७.
ओघे ८१. प्रमत्तादिके८१-७६-७२-६६-६०-५९-५७. ३० केवळज्ञाननी मार्गणाएछल्ला बे गुणस्थान त्यां ओघनी पेठे ४२-१२. ३१-३२ मतिज्ञान तथा श्रुतअज्ञाननी मार्गणाए-गुणस्थान ३.
आहारक द्विक २, जिननाम १, सम्यक्त्व १, ए ४ विना ओघे ११८, सासादने १११, मिश्रे १००, ओघनी पेठे. .