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________________ मार्गणा १ नरकगति २. देवगति ३ मनुष्यगति X तिर्यचगति ५ एकेंद्रिय ६ द्रोद्रिय ७ त्रींद्रिय ८ चतुरिंद्रिय ९. पंचेंद्रिय |१० • पृथ्वीकाय ११ अप्काय १२ तेजस्काय १६ मनयोग १७ वचनयोग १८ काययोग १९ पुरुषवेद २० स्त्रीवेद २१ नपुंसक वेद २२ क्रोध ध्रुवसत्ता अध्रुवस प्रकृति त्ताप्रकृति सत्ता प्रकृति ओघ १४८ १२६ २२ २३ मान २४ मायो २५ लोभ २६ मतिज्ञान २७ श्रुतज्ञान १२६ १२६ १२६ | १२६ १२६ १२६ १३ वायुकाय १४ वनस्पतिकाय १२६ १५ त्रसकाय १२६ १२६ १२.६ १२६ १२६ १२६ | १२६ |१२६ १२६ |१२६ |१२६ १२६ १२६ | १२६ १२६ १२३ १२६ | १२६ |१२६ २२ १९ १९ १९ १९ २२ | २२।२१ | १४८।१४७ १४८।१४७/१४७ १४७ उ क्ष. १४७/० क्षा. १३९ २२।२१ १४८।१४७ १४८।१४७ १४७ १४७ उ क्ष. १४७० क्षा. १३९ १९ १९ 192 १८ १९ २२ २२ २२ | १४८ | १४८।१४७ १४७ १४७ न. १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८. १४५।१३८ २२।२१ १४८।१४७ १४८।१४७ १४७ १४७ ९. क्ष. १४७ उ क्ष. १४७ क्षा. १३८ क्षा. १३८ ૐર્ २२ २२ २२ २२ | १२६ २२ २२ २२ २२ १४५ १४५ १०५ १४५ | १४८ | १४५ | १४५ | १४४ | १४४ १४५ १४८ १४८ | १४८ १४८ १४८ | १४८ | १४८ | १४८ १४८ १४८ १४८ [२९१] | १४८ मिथ्यात्व | १४८ सास्वादन | १४५ | १४५ | १४५ १४५ | १४४ १४५० १४५० १४५० मिश्र १४५० १४५० ० ० ० ० ० ० o १४५ | १४५ १४५० | १४८।१४७ १४७ १४७८. १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५ । १३८. १४५।१३८ ० ० О ० ० の अविरत ० ० ० 10 ० 0 देशविरत ० ० १४८ । १४७ १४७ १४७ उ. १४१ उ. १४१ 0 ० 9 ० | १४४ | १४५ १४५० १४८ । १४७ १४७ १४७. १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८. १४५।१३८ उ. १४१ | १४८ । १४७ १४७१४७उ. १४१ उ. १४१ ० ० ० ० ० क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८ डं. १४१ श्र. १४५ । १३८क्ष. १४५ । १३८क्ष. १४५।१३८ । | १४८।१४७ १४७ १४७ उ १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८ . १४५।१३८ । उ. १४१ उ. १४१ | १४८ । १४७ १४७ १४७ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५ । १३८ . १४५।१३८ | १४८।१४७ १४७ १४७ उ. १४१ उ. १४१ १४८।१४७ १४७ १४७उ. १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५ १३८क्ष. १४५ । १३८क्ष. १४५।१३८ | १४८।१४७१४७१४७ उ. १४१ उ. १४१ ४. १४१ क्ष. १४५।१३१क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८ १४८ । १४७ १४७१४७ उ. १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५ १३८क्ष. १४५ । १३८क्ष. १४५ ।१३८ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८ उ. १४१ | १४८ । १४७ १४७१४७ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५।१३८ क्ष. १४५।१३८ १४८ । १४७ १४७१४० उ. १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५।१३८क्ष. १४५ । १३८५.१४५।१३८ उ. १४१ उ. १४१ उ. १४१ अ. १४५।१३८क्ष. १४५ १३८३.१४५ /१३८ उ. १४१ उ. १४१ उ. १४१ क्ष. १४५ । १३८ क्ष. १४५/१३८ . १४५।१३८ प्रमत्त ० ०
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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