SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 299
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [२८९] सत्तागत प्रकृतिनी समजुती. प्रथम ध्रुवसत्ताक १३० ने अध्रुवसत्ताक २८ प्रकृतिओ मळीने १५८ प्रकृतिओ सत्तागत पृष्ठ ६० अने ६१ मे बतावेली छे. परंतु आ साथेना यंत्रमा वंधन १५ ने बदले पांच गणवाथी १४८ प्रकृतिनुं गुणस्थानके अने मार्गणाए विवरण लखेल होवाथी अहीं ते प्रमाणे समजुती लखी छे. ध्रुवसत्ताक प्रकृति १२६-६२ मार्गणा आश्री. १३० मांथी तैजस कार्मण बंधन १, औदारिक तैजस बंधन १, औदारिक कार्मण बंधन १, औदारिक तैजस कार्मण बंधन १, ( आ चार बंधन जतां १२६ प्रकृति रहे छे) (५७) गति ४, इंद्रिय ५, काय ६, योग ३, वेद ३, कषाय ४, केवळ ज्ञान विना ४ ज्ञान, अज्ञान ३, सूक्ष्म संपराय अने यथाख्यात चारित्र विना ५ चारित्र, केवळ दर्शन विना ३ दर्शन, लेश्या ६, भव्य १, अभव्य १, क्षायिक सम्यकत्व विना सम्यकत्व ५, संज्ञी १, असंज्ञी १, आहारी १, अनाहारी १, आ ५७ मार्गणाए ध्रव सत्ता १२६ प्रकृतिनी होय. (२) केवळज्ञान १, केवळ दर्शन १, आ बे मार्गणाए ध्रुव सत्ता ७० प्रकृतिनी होय, ते आ प्रमाणे-खगति द्विक २, वर्णादि २०, औदारिक शरिर १, तेजस शरीर १, कार्मण शरीर १, तेना ज संघातन ३; तेना ज बंधन ३, निर्माण १, संघयण ६, अस्थिर पटक ६, संस्थान ६, अगुरुलघु १, उपघात १, पराधात १, उच्चास १, वेदनीय द्विक २, औदारिक अंगोपांग १, नीचगोत्र १, सुखर १, अपर्याप्त १, प्रत्येक १, स्थिर १, शुभ १, त्रस १, बादर १, पर्याप्त १, यश १, आदेय १, सुभग १, पंचेंद्रिय जाति १, कुल ७०. (२) सूक्ष्मसंपराय चारित्र अने यथाख्यात चारित्र आबे मार्गणाए अनंतानुबंधि ४ कषाय विना १२२ प्रकृतिनी ध्रुव सत्ता क्षपकने होय. अने १२६ नी उपशामकने होय. (१) क्षा.यक सम्यकत्वनी मार्गणाए अनंतानुबंधी कषाय ४, मिथ्यात्व मोहनी १, ए पांच विना १२१ प्रकृतिनी ध्रुव सत्ता होय. अध्रुव सत्ताक प्रकृति २२-६२ मार्गणा आश्री. २८ मांथी वैक्रिय तैजस बंधन १, वैक्रिय कार्मण बंधन १, वैक्रिय तैजस कार्मण बंधन १, आहारक तैजस बंधन १, आहारक कार्मण बंधन १, आहारक तेजस कार्मण बंधन १, (ए ६ बंधन विना २२ प्रकृति रहे छे.)
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy