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तथा बीजं अने चोथु सामान्य जिनने होय. हवे सयोगी केवळी आश्री कहे छे.उदयस्थान ८ (२०-२१-२६-२७-२८-२९-३०-३१ ).
आनुं विवरण सामान्य नाम कर्मना उदय भंग वखते सविस्तर आव्युं छे. सत्तास्थान ४ (८०-७९-७६-७५)
संवेध संज्ञी पर्याप्त जीवद्वारमा कर्या प्रमाणे अहीं पण जाणवो हवे अयोगी केवळी आश्री कहे छे.उदयस्थान २ (८-९).
८ नुं अतीर्थंकर केवळीने.
९ नु तीर्थंकर केवळीने. सत्तास्थान ६ (८०-७९-७६-७५-९-८)
८ ना उदयमांत्रण सत्तास्थान--७९-७५-८.
पहेला बे द्विचरम समय सुधी, अने आठy चरम समये ( अतीर्थकरने). ९ ना उदयमांत्रण सत्तास्थान-८०-७६-९. पहेला वे द्विचरम समय सुधी, अने नवनुं चरम समये ( तीर्थकरने ),
इति गुणस्थाने बंधोदय सत्ता सवेध. गाथा ५३. हवे गत्यादि मार्गणाए बंधादिक कहे छे.
प्रथम गतिमार्गणा आश्री कहे छे.नरकगतिने बंधस्थान २ ( २९-३०).
२९ तिर्यंच अने मनुष्य गति प्रायोग्य. ३० तिर्यंच पंचेंद्रिय प्रायोग्य उद्योत सहित, मनुष्य गति प्रायोग्य तीर्थंकर
नाम सहित. तिर्यंच गतिने बंधस्थान ६ (२३-२५-२६-२८-२९-३० ) पूर्ववत. विशेष
एउटु के-२९-३० तीर्थकर आहारक सहित छे, ते अहीं न जाणवा. मनुष्य गतिमां बंधस्थान ८ (२३-२५-२६-२८-२९-३०-३१-१). देवगतिमां बंधस्थान ४ ( २५-२६-२९-३० ). २५-२६ एकेंद्रिय पर्याप्त बादर प्रत्येक आश्री समजवा. तेना भंग स्थिरा
स्थिर, शुभाशुभ, यश अयश आश्री ८ थाय. तेमां २६ आतप उद्योत
सहित थाय, तेथी आठने बमणा करतां १६ भंग थाय. २९ मनुष्य अने तिर्यंच पंचेंद्रिय प्रायोग्य थाय.