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________________ [१८९] ९ मे सत्तास्थान १४(२८-२४-२१-१३-१२-११-५-४-३-२-१) तेमा पहेला बे उपशमश्रेणिमां. २१ नुं सत्तास्थान क्षायिक समकिती उपशमशेणिगतने अथवा कषायाष्टक क्षय न करता सुधी क्षपक वाळाने. कपायाष्टक क्षय करतां १३ नुं सत्तास्थान. नपुंसक वेदनो क्षय करतां १२ नु. स्त्रीवेदना क्षये हास्यादि छना क्षये पुरुषवेद क्षये संज्वलन क्रोध क्षये ३ संज्वलन मान क्षये संज्वलन माया क्षये १र्नु. १० मे सत्तास्थान ४ (२८-२४-२१-१) तेमां पहेला त्रण उपशममा अने छेल्लु क्षपकमां. ११ मे सत्तास्थान ३ (२८-२४-२१) उपशमश्रेणिवाळाने. ه م مه سه له 6.61 61 6.64.6 हवे मोहनी कर्मना बंध, उदय अने सत्तास्थाननो संवेध कहे छे.__ पहेले गुणस्थाने २२ ना बंधमां उदयस्थान ४ (७-८-९-१०). ७ ना उदयमा १ सत्तास्थान-२८ नु. ९-९-१. ना उदयमांत्रण त्रण सत्तास्थान-२८-२७-२६. कुल सचास्थान १०. बीजे ११ ना बंधमां ३ उदयस्थान-७-८-९. . तेमां प्रत्येके एक सत्तास्थान-२८ नु. कुल ३ सत्तास्थान. बीजे १७ ना बंधमां ३ उदयस्थान-७-८-९. प्रत्येक उदये त्रण त्रण सत्तास्थान-२८-२७-२४ कुल ९ सत्तास्थान. चोथे १७ ना बंधमां ४ उदयस्थान--६-७-८-९. ६ ना उदयमा ३ सचास्थान-२८-२४-२१. ७-८ ना उदयमा ५ सत्तास्थान-२८-२४-२३-२२-२१. ९ ना उदयमा ४ सचास्थान-२८-२४-२३-२२. कुल सत्तास्थान १७, पांचमे १३ ना बंधमां ४ उदयस्थान-५-६-७-८, ५ ना उदयमा ३ सचास्थान--२८-२४-२१. ६-७ ना उदयमा ५ सचास्थान-२८-२४-२३-२२-२१.
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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