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गाथा ८
[१३२]
५ नो बंध, ५ नो उदय, ५ नी सत्ता. १० मा गुणस्थान सुधी. बंध उपरम पामे छते. अबंध, ५ नो उदय, ५ नी सत्ता. ११ - १२ मे गुणस्थाने. दर्शनावरणीय.
बंधने सत्ता आश्री समानपणे ३ विकल्प. ९-६-४.
१ नवनो बंध पहेले बीजे गुणस्थाने. अभव्यने अनादि अनंत, भव्यने अनादि सांत, सम्यक्त्व पतितने सादि सांत जघन्यथी अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्टथी देशे ऊ पा पुद्गल 'परावर्त काळ.
२ छनो बंध त्रीजाथी आठमा गुणस्थानना पहेला भाग सुधी. जघन्यश्री अंत -
मुहूर्त, उत्कृष्टथी बे ६६ सागरोपम.
मध्यमां मिश्र आववाथी त्यारपछी कोई क्षपकश्रेणि मांडे अने कोई मिथ्यात्वे जाय. ३. ४ नो बंध ८ माना बीजा भागथी १० मा गुणस्थान सुधी जघन्य एक समय ते ८ माने बीजे भागे पहेले समये उपशमश्रेणि मांडी बीजे समये काळ करी स्वर्गे जाय. उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त.
१ नवनी सत्ता अभव्यने अनादि अनंत, भव्यने अनादि सांत, सादि सांत होय ज नहीं. ते पण उपशमश्रेणि आश्री ११ मा सुधी. क्षपकश्रेणि आश्री ९ माना पहेला भाग सुधी.
२ छनी सत्ता ९ मा ना बीजा भागथी १२ माना द्विचरम समय सुधी अंतर्मुहूर्त
गाथा ९
प्रमाण.
३ चारनी सत्ता १२ माना चरम समये एक ज समयनी.
दय आश्री वे स्थान ४-५.
१ चार दर्शनावरण ध्रुवउदयी होवाथी.
२ चार दर्शनावरणमां कोई पण एक निद्रा भळे त्यारे पांच थाय. केमके एकथी धारे निद्रा उदयमां न होय. तेमज एक पण निरंतर न होय. कदाचित् होय. हवे संवेध कहे छे.
१. ९ नो बंध, ४ नो उदय, ९ नी सत्ता. निद्रा न होय त्यारे. २. ९ नो बंध, ५ नो उदय, ९ नी सत्ता. निद्रा होय त्यारे . ३. ६ नो बंध, ४ नो उदय, ९ नी सत्ता. ( ४. ६ नो बंध, ५ नो उदय, ९ नी सत्ता.
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( क्षपकने तो त्रीजो विकल्प ज होय. ) ५. ४ नो बंध, ४ नो उदय, ९ नी सच्चा. ६. ४ नो बंध, ५ नो उदय, ९ नी सत्ता.
त्रीजाथी आठमाना
प्रथम भाग सुधी.
अपूर्वकरणना बीजा भागथी दशमा गुणस्थान सुधी.