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छठा कर्मग्रंथर्नु संक्षिप्त विवरण. . गाथा २
मूळ प्रकृतिना बंधमा ४ स्थान–८७६।१। आठनो बंध जघन्य तथा उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त. आयु विनानो सातनो बंध जयन्य अन्तर्मुहूर्त अने उत्कृष्ट छ मास ऊणा तेत्रीश सागरोपम पूर्व कोटी त्रिभाग अधिक. छनो बंध उपशम श्रेणिमां दशमे गुणस्थाने जवन्य एक समय अने उत्कृष्ट अंतमुहूर्त. ( छनो बंध दशमे गुणस्थानेज छे, अने तेनी स्थिति उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्तनी ज छे. ) एकनो बंध जघन्य एक समय ते उपशम श्रेणिमां ११ मे, त्यांथी भवक्षये देवलोकमां जतां अविरति थाय एटले सातनो बंध. एकनो बंध उत्कृष्ट देशोन पूर्व कोटी प्रमाण. जेम कोई जीव गर्भावासे सात मास रही जन्म पानी आठभे वर्षे दीक्षा लई क्षपणश्रेणि मांडी केवळज्ञान पामे. ते सयोगी केवळी पणे देशोन पूर्व कोटि पर्यंत विचरे. ... हवे कई मूळ प्रकृति बांधतां बंधने आश्रीने केटलां स्थान पामीए, ते कहे छ.१ आयु बांधतां आठेनो बंध होय. २ मोहनी वांवतां आठ अने सातनो बंध होय. ३ ज्ञानावरण, दर्शनावरण, नाम, गोत्र अने अंतराय बांधतां आठ, सात अने
छनो वंध होय. ४ वेदनी बांधतां ८-७-६-१ नो बंध होय.
उदय आश्री त्रण प्रकृति स्थान ८-७-४. १ आठनो अभव्य आश्री अनादि अनंत. २ आठनो भव्य आश्री अनादि सांत. ३ आठनो उपशमश्रेणिए चडी पाछो पडी बीजीवार चडे, तेने आश्री सादि सांत. ४ सादि अनंत भंग लाभेज नहीं. १ आठनो आयु मोहनी युक्त. २ सातनो मोहनी विना ११-१२ मे, ते जवन्य एक समय, उत्कृष्ट अंतमुहूर्त. ३ चारनो घाति कर्म क्षय करवाथी १३ मे गुणस्थाने. ते जघन्य अंतर्मुहूर्त, अने
उत्कृष्ट देशोन पूर्व कोटि पर्यंत. कई कर्म प्रकृतिना उदये केलां उदय स्थान पामीए, ते कहे छे.-- १ मोहनीना उदये आठनो १० मा गुणस्थान सुधी. २ ज्ञानावरण, दर्शनावरण अने अंतरायना उदये ८ नो अने ७ नो मोहनी न होय त्यारे ११-१२ मे पामीए.....