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* गीता दर्शन भाग-7 *
निकल जाता है, किताब में रेचन हो जाता है। फिर उन पागलों की | | बहुत-सी अड़चन, भटकन, व्यर्थ खोजबीन से बचना हो, लिखी किताबों को दसरे पागल पढ़ रहे हैं। उनका तो रेचन हो जाता| भूल-चूक में बहुत समय खराब न करना हो, तो जरूरी है कि है, इनकी खोपड़ी भारी हो जाती है। अब तय करना मुश्किल है। | जिसने जाना हो, उसकी बात समझें; जिसने पहचाना हो, उसकी क्योंकि बहुत-से सूत्र खो गए।
बात समझें। पहला सूत्र तो यह खो गया कि बिना जागे कोई व्यक्ति न लिखे; | __ और आप कैसे पहचानेंगे किसी व्यक्ति को कि उसने जान बिना जागे कोई व्यक्ति न बोले; बिना जाग्रत हुए कोई किसी दूसरे लिया, पहचान लिया? एक ही कसौटी है कि जिस व्यक्ति को आप को सलाह न दे। यह पुराने समय में सोचना ही असंभव था कि कोई देखें कि उसकी कोई खोज नहीं अब, उसका कोई प्रश्न नहीं अब। बिना जागे हुए किसी को सलाह दे देगा।
अब उसको पाने का कुछ, आपको दिखाई में न पड़ता हो। कोई लेकिन आज कठिन है। आज तो सोए आप कितने ही हों, इससे व्यक्ति लगता हो कि ऐसे जी रहा है, जैसे उसने सब पा लिया। जो कोई फर्क नहीं पड़ता, आप सलाह दे सकते हैं। सोया हुआ आदमी | सब तरफ से तृप्त हो, जिसकी तृप्ति का वर्तुल बंद हो गया हो, जो
और भी उत्सकता से सलाह देता है। वह चाहे अपने सपने में | | कहीं से खुलता न हो अब। तो ऐसे व्यक्ति की सन्निधि खोजना बड़बड़ा रहा हो, लेकिन उसको अनुयायी मिल जाते हैं। लोग उसके | जरूरी है। आपके लिए वही शास्त्र होगा। उसके माध्यम से आपको पीछे चलने लगते हैं। जितने जोर से कोई चिल्ला सकता हो, उतना वेद, उपनिषद, कुरान और बाइबिल के द्वार भी खुल जाएंगे। ज्यादा पीछे अनुसरण करने वाले मिल जाते हैं।
___ इससे तेरे लिए उस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र आज कठिन है। लेकिन आज भी व्यक्ति अपनी ही खोजबीन से ही प्रमाण है, ऐसा जानकर तू शास्त्र-विधि से नियत किए हुए कर्म चले, तो बहुत समय व्यय होगा, बहुत जन्म खो जाएंगे। आज भी को ही करने के लिए योग्य है। व्यक्ति को शास्त्र की खोज करनी चाहिए। लेकिन आज की __अर्जुन क्षत्रिय है, योद्धा है। कृष्ण शास्त्र की बात कह रहे हैं, कठिनाई को ध्यान में रखकर मैं कहूंगा कि आज शास्त्र से ज्यादा | | क्योंकि शास्त्र उस दिन तय किया था, समाज चार हिस्सों में सदगुरु...।
| विभाजित था। बड़ी कुशलता से विभाजित किया था। कुशलता कृष्ण ने जब कहा, तब शास्त्र सदगुरु का काम करता था, अनूठी है। हिंदुओं की खोज बड़ी गहरी है। क्योंकि सिर्फ सदगुरुओं के वचन ही लिपिबद्ध थे। आज मुश्किल आज पांच हजार साल हो गए। पांच हजार साल में दुनिया में है। छापेखाने ने पागलखाने के द्वार खोल दिए हैं। कोई भी लिख | | बहुत तरह के लोगों ने मनुष्यों को बांटने की कोशिश की है, कि सकता है, कोई भी किताबों का प्रचार कर सकता है, कुछ अड़चन | कितने प्रकार के मनुष्य हैं? अभी अत्याधुनिक कार्ल गुस्ताव जुंग नहीं है अब। आज शास्त्र उतना सहयोगी नहीं हो सकता। आज की कोशिश है, पश्चिम के बड़े मनोवैज्ञानिक की। वह भी मनुष्यों शास्त्र को भी पहचानना हो, तो भी सदगुरु के ही माध्यम से | | को चार हिस्सों में ही बांट पाता है। इन पांच हजार सालों में दुनिया पहचाना जा सकता है।
के कोने-कोने में अलग-अलग जातियों ने, अलग-अलग एक बहुत पुरानी कहावत है, सतयुग में शास्त्र, कलियुग में | | विचारकों ने खोज की है कि आदमी कितने प्रकार के हैं। वह हमेशा गरु। उसमें बडा अर्थ है। क्योंकि कलियग में इतने शास्त्र हो जाएंगे | चार के ही आंकड़े पर आ जाते हैं। कि यही तय करना मुश्किल हो जाएगा, कौन-सा शास्त्र है और | | हिंदुओं ने बड़ी पुरानी खोज की थी कि व्यक्ति चार तरह के हैं। कौन-सा शास्त्र नहीं है! और कौन आपको कहे? अब तो कोई | और उन चार तरह के व्यक्तियों को बोट दिया था। और न केवल निजी आत्मीय संबंध बन जाए आपका किसी जाग्रत पुरुष से, तो ऊपर से बांट दिया था, बल्कि ऐसे समाज की संरचना की थी कि ही रास्ता बन सकता है। क्योंकि उसके माध्यम से शास्त्र भी मिल आप मर भी जाएं आज, तो कल आपकी आत्मा अपने ही टाइप सकेगा। और जीवित पुरुष मिल जाए, तो शास्त्र की जरूरत भी नहीं | | की जाति को खोज ले। वह बड़ी गहरे व्यूह की रचना थी। रह जाती।
ब्राह्मण मरकर ब्राह्मण घर में जन्म ले सके और अनंत जन्मों में लेकिन शास्त्र का मतलब ही इतना है, जागे हुए पुरुषों के वचन; | | ब्राह्मण घरों में तैर सके, तो उसका ब्राह्मणत्व सिद्ध होता चला चाहे वे जिंदा हों. चाहे जिंदा न हों। अगर आपको जीवन की जाएगा। और किसी भी जन्म में शास्त्र ने ब्राह्मण के लिए जो कहा
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