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________________ * ऊर्ध्वगमन और अधोगमन * दोहराते हैं। यह दोहराना बताता है कि आप अपने को समझा रहे हैं। सौंदर्य की तलाश करने लगता है। कुरूप आदमी दोहराता रहता है कि मैं सुंदर हूं। मूढ़ समझाता एक आदमी खड़ा हो गया और उसने कहा कि क्या यह बात रहता है कि मैं बुद्धिमान हूं। कमजोर समझाता रहता है कि मैं | आप पर भी लागू है? एडलर कुछ समझा नहीं। वह आदमी बड़ी ताकतवर हूं, और इसको सिद्ध करने की जगह-जगह कोशिश भी गहरी मजाक कर रहा था। उसने कहा कि क्या इसका मतलब है कि करता है। क्योंकि अपने से कमजोर आदमी तो खोज लेना हमेशा | | जिसका मन कमजोर होता है, वह मनोवैज्ञानिक हो जाता है! आसान है। अपने से मूढ़ भी खोज लेना आसान है। जगत इतना लेकिन एडलर की बात में सचाई है। बड़ा है; आप अकेले नहीं हैं। काफी जगह है। कृष्ण भी वही बात कह रहे हैं; कह रहे हैं कि ऐसा आदमी सुखी तो वह जो कमजोर आदमी है, अपने से कमजोर खोज लेता है। होता नहीं, हो नहीं सकता, लेकिन मानता है कि मैं सुखी हूं। और उनकी छाती पर चढकर वह सिद्ध कर लेता है कि मैं निश्चित ही | गौरव से इसका प्रचार करता है कि मैं सुखी हूं। उसके प्रचार के बलवान हूं। आप अपने से मूढ़ को खोज लेते हैं! कारण आप भी धोखे में आ जाते हैं। और ध्यान रहे, हम सदा यही कोशिश करते हैं कि हमसे | ___ आपके राजनीतिज्ञ हैं, बड़े पदों पर हैं। उनको देखकर बाहर से कमजोर, हमसे मूढ़ हमें मिल जाए। क्योंकि उसके पास हम बड़े | | आपको ऐसा लगेगा कि बड़े प्रसन्न हैं, फूलमालाएं डाली जा रही मालूम होते हैं। लगता है, हम कुछ हैं। इससे प्रतीति हम अपने | हैं, और बड़ा आनंद ही आनंद है। काश, उनके जीवन में आपको भीतर कर लेते हैं कि सब ठीक है। झांकने का मौका मिल जाए, तो वे बड़े दुखी हैं और बड़े परेशान पश्चिम का एक बहुत बड़ा विचारक हुआ, एडलर। उसने एक हैं। और किसी तरह अपनी फजीहत न हो जाए बिलकुल, इसको मनोविज्ञान को जन्म दिया, इंडिविजुअल साइकोलाजी। और उस | बचाने में लगे हुए हैं। और फजीहत पूरे क्षण हो रही है। लेकिन वे मनोविज्ञान का आधार-स्तंभ उसने हीनता की ग्रंथि बनाया। उसका | जब बाहर निकलते हैं, तो मुस्कुराते निकलते हैं। कहना है कि जिस व्यक्ति में जो चीज हीन होती है, वह उसके । उनकी मुस्कुराहट बिलकुल ऊपर से पोती गई है, पेंटेड है, विपरीत रूप अपने आस-पास खड़ा करता है, ताकि खुद भी भूल | | क्योंकि भीतर वे रो रहे हैं और परेशान हैं। और एक क्षण की उनको जाए, दूसरे भी भूल जाएं। उसने बड़ा गहरा अध्ययन किया और | सुविधा नहीं है, सुख नहीं है, शांति नहीं है। लेकिन बाहर वे उसने कहा कि जितने लोग दुनिया में जिन-जिन चीजों के पीछे | | दिखलाने की कोशिश करते हैं कि बड़े प्रसन्न हैं, बड़े आनंदित हैं। पागल होते हैं, वह पागलपन बताता है कि वही उनकी कमजोरी है। उससे आपको भी भ्रम पैदा होता है। हिटलर जैसा व्यक्ति, यह किसी हीनता की ग्रंथि से पीड़ित है। आप भी जब घर से बाहर निकलते हैं, तो दूसरों को भ्रम पैदा और जब तक वह अपने को नहीं समझा लेगा कि मैं सारी दुनिया करवाते हैं कि बड़े प्रसन्न हैं। घर में कोई मेहमान आ जाए, तो . का मालिक हो गया, तब तक उसको शांति न मिलेगी। जो लोग | पति-पत्नी ऐसी प्रेमपूर्ण बातें करने लगते हैं, जैसी उन्होंने कभी नहीं पैर से कमजोर हैं, वे दौड़ने की कोशिश करते हैं। की। घर में कोई न हो, तब उनका असली रूप दिखाई पड़ता है। विपरीत की कोशिश चलती है, ताकि हम अपने को भी दिखा | | शिष्टाचार है, सभ्यता है। दें, दुनिया को भी दिखा दें कि नहीं, यह बात नहीं है। कौन कहता मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी एक दिन अपने पति से बोली कि है कि हम कमजोर हैं! कौन कहता है हमारे पैर कमजोर हैं! कौन | | पच्चीस साल हो गए विवाहित हुए-कोई मेहमान घर आया था, कहता है हमारी आंख कमजोर है! उसके सामने ही उसने यह बात उठानी ठीक समझी, नसरुद्दीन वह एक जगह बोल रहा था, तो एक बड़ी मजेदार घटना घटी।। | शायद लज्जित हो जाए-पच्चीस साल हो गए, मैं इस घर में वह समझा रहा था कि जिन लोगों में जो-जो चीज की हीनता होती | बंदिनी होकर रह रही हूं। कभी हम एक बार भी एक साथ घूमने भी है, उस-उस की वे तलाश में जाते हैं। जैसे जिस आदमी को गरीबी घर के बाहर नहीं निकले! की बड़ी ग्लानि होती है, वह धन की कोशिश करता है। जिस | नसरुद्दीन ने कहा, फजलू की मां, बात का इतना बतंगड़ मत आदमी को अपने पद में हीनता दिखाई पड़ती है, वह पद-प्रतिष्ठा, | बनाओ। इतनी बात बढ़ा-चढ़ाकर मत कहो। अतिशयोक्ति की राष्ट्रपति होने की दौड़ में लग जाता है। जो कुरूप होता है, वह | | तुम्हें आदत हो गई है। जब एक बार घर में स्टोव फट गया था, तो 379
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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