________________
* गीता दर्शन भाग-7 *
वह जो आसुरी संपदा है, नीचे की तरफ उतरना है। उसमें चढ़ाव नहीं है, इसलिए श्रम नहीं पड़ता। हम सब उसमें ढलकते हैं अपने आप। और जब तक हम सचेत न हों, तब तक रुकना बहुत मुश्किल है। सचेत हों।
तो ध्यान रखना, जब भी नीचे उतरने का मन हो, तब अपने को रोकना। चाहे श्रम भी पड़े, तो भी दैवी संपदा की तरफ कदम रखना। वह पहाड़ की चढ़ाई है। पसीना उसमें आएगा, थकान भी होगी। लेकिन उसके मधुर फल हैं। और उसका अंतिम फल मोक्ष की मधुरता है।
आज इतना ही।
348